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यहाँ माँ चामुण्डा के दर्शन करने सुरंग से आते थे राजा भर्तृहरि



thedmnews.com मध्यप्रदेशके देवास जिले में माँ तुलजा भवानी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। माना जाता है कि देवास का नाम ‘देवियों के वास’ से प्रचलित हुआ है। यह देवी धाम प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों की तपस्थली भी रहा है। thedmnews.com

इस देवी धाम में देवास की दो रियासतों के राजाओं की कुलदेवियों के मंदिर स्थापित हैं। यह मंदिर सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। चैत्र व शारदीय नवरात्रि में यहाँ विशेष मेला भारत है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु माता के चरणों में शीश झुकाने आते हैं।

देवास नगर का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पूर्व बताया जाता है। ज्ञात प्रमाणों के आधार पर यहाँ स्थित चामुंडा माता की प्रतिमा दसवीं शताब्दी की बताई जाती है।

यहाँ पहाड़ी पर एक सुरंग है जो उज्जैन में भर्तृहरि की गुफा तक जाती है। इस सुरंग से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व का इतिहास की जानकारी मिलती है। 45 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का प्रयोग संभवतः तत्कालीन व्यापारी अथवा राजा उज्जैन तथा देवास के मध्य आवाजाही अथवा व्यापारिक गतिविधियों के लिए करते थे।  कहा जाता है कि इसी सुरंग से उज्जैन के राजा भर्तृहरि चामुंडा माता के दर्शनार्थ देवास आते थे। thedmnews.com

इस मंदिर में दो देवी प्रतिमाएं विद्यमान हैं। एक तुलजा भवानी, जिन्हें बड़ी माता भी कहा जाता है, दूसरी माँ चामुंडा जिन्हें छोटी माता भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां तुलजा और मां चामुंडा दोनों बहनें हैं।

मां तुलजा भवानी (बड़ी माता)

टेकरी पर दक्षिण दिशा की ओर मां तुलजा भवानी (बड़ी माता) का मंदिर स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार यह मंदिर भी चामुंडा माता मंदिर के समकालीन है। मंदिर में तुलजा माता की आधी प्रतिमा (ऊपरी हिस्सा) है।thedmnews.com

मां चामुंडा (छोटी माता)

टेकरी पर उत्तर दिशा की ओर मां चामुंडा का मंदिर है। यह देवास सीनियर रियासत के राजाओं की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं। इतिहास में उल्लेखित जानकारी के अनुसार मां चामुंडा की प्रतिमा चट्टान में उकेरकर बनाई गई है। पुराविदों ने इस प्रतिमा को परमारकालीन बताया है। thedmnews.com

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