– तुलसी अलंकरण सम्मान 2020 साहित्यकार डॉ गीता दुबे को
– परिषद से तीन पुस्तकों का एक साथ विमोचन भी अलभ्य है
– किनारे की घास , काव्य की अन्तर्धाराएं, एवम दण्डकारण्य का एक साथ विमोचन
झाबुआ।
अपने विचार रखते हुए पद्मश्री महेशजी शर्मा ने पुराणिक युगीन पात्रों एवम घटनाओं को इतिहास की धारा में जाग्रत बताया। आपने कहा कि घटना कुछ व्यक्तियों के सामने घटित होती है किंतु वह जब परिदृश्य में बाहर की ओर फैलती है तब इतिहास की प्रणेता बन जाती है।
हर व्यक्ति एक वृत्ति है जिसमें राम रावण या अन्य पात्र भी सम्मिलित है। राम सर्वस्व के उद्धार के लिए समर्पित थे तो रावण सर्वस्व पर आधिपत्य के लिए यत्नशील इन दोनों में मूलभूत अंतर भी यही है। कोई समाज के लिए जीवित रहता है कोई उसके विपरीत।
अवसर था साहित्य एवम संस्कृति परिषद वनांचल जिला झाबुआ के द्वारा आयोजित तुलसी अलंकरण सम्मान एवम पुस्तक विमोचन का।
मुख्य आथिति के रूप में बोलते हुए महेश जी शर्मा ने तुलसी शब्द अर्थ एवम महत्व पर प्रकाश डाला। आपने कहा कि एक तुलसी पौधा है, एक गोस्वामी तुलसी दास एक अणुव्रत के प्रणेता आचार्य तुलसी। इस तुलसी शब्द में व्यापकता छुपी हुई है। प्रध्यपक डॉ गीता दुबे की एक ही स्थान पर 43 वर्षीय महाविद्यालयीन सेवाओं की आपने सराहना की। आपने बताया कि वनांचल परिषद की वनांचल क्षेत्र में एक साथ तीन पुस्तकों का लोकार्पण अपने आप में एक असाधारण घटना है वह भी जब कि इस क्षेत्र को नितांत पिछड़ा समझा जाता है।
हमे मिलकर इस क्षेत्र के इस पिछड़ेपन की यह धारणा बदलना होगी।
कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप सरस्वती पूजन के साथ हुआ
प्रथम विमोचन डॉ पीडी रायपुरिया के कविता संग्रह किनारे की घास का हुआ। अपने वक्तव्य में रायपुरिया जी ने कुंडलिया छंद की अवधारणा एवम उनके साहित्य जीवन पर प्रकाश डाला। काव्य की अंतर धाराएँ एक समीक्षात्मक काव्य है जिसके लेखक रामनारायण जी सोनी सेवानिवृत इंजीनियर है । 22 साहित्यकारों की अपनी रचनाओं की समीक्षा उपनिषदीय संदर्भ में की गई है जिस पर सुशीम जायसवाल द्वारा प्रकाश डाला गया। डॉ.जय वैरागी ने अपने पौराणिक उपन्यास दण्डकारण्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दो माताओं कैकेयी कैकसी एवम दो पुत्र राम एवम रावण की सांस्कृतिक शुचिता एवम संस्कारों का विशद कथानक होकर जनजातीय जीवन पर राक्षसों द्वारा हो रहें दण्डकारण्य में उत्पात के समग्र निर्मूलन में कैकेयी द्वारा राम को भेजे जाने का वास्तविक यथार्थ है। इस वर्ष का तुलसी अलंकरण 2020 श्रेष्ठ संचालक बहुमुखी प्रतिभा की धनी श्रेष्ठ साहित्यकार डॉ गीता दुबे मेडम को प्रशस्ति पत्र शाल एवम स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। प्रशस्ति पत्र का वाचन डॉ सीमा शाहजी ने किया। डॉ गीता दुबे ने अपने वक्तव्य में झाबुआ वनांचल में चल रही साहित्यिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला। अपने जीवन संघर्ष पर बोलते हुए तिर्ललिस वर्षीय शासकीय सेवाओं का उल्लेख किया। मंच पर विराजित मुख्य परामर्श दाता वनांचल डॉ जया पाठक द्वारा सदन को सम्बोधित करते हुए हिंदी साहित्य के क्षेत्र में जिले में चल रही साहित्यिक गतिविधि एवम दण्डकारण्य जैसे दुलभ उपन्यास में प्रसाद निराला की छवि आभासित होने का अहसास करवाया। साहित्यकार एवम महिष्मति कला मंच के क्षेत्र प्रभारी यशवन्त भंडारी ने कहा कि आकृति प्रकति नष्ट हो सकती है किंतु कृति कभी नष्ट नही होती। वहः अमर है। ख्यात इतिहासविद डॉ के के त्रिवेदी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सम्पूर्ण वनांचल में चल रही साहित्यिक अनुष्ठान का वृहद चित्रण किया तो पीडी रायपुरिया जी की श्रृंगार कुंडलिया छंद में आये हुए अलंकारों की विस्तृत समीक्षा की। आपने काव्य की अन्तर्धाराओं पर प्रकाश डाला तो दण्डकारण्य जैसे जिले के प्रथम उपन्यास को इतिहास का मील स्तम्भ निरूपित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन उप प्राचार्य उत्कृष्ट महेंद्र खुराना ने तो आभार प्रदर्शन एडवोकेट नरेश दोषी ने माना।