राजेन्द्र सिंह भोपाल।
लम्बे कोरोना काल के बाद शिक्षा संस्थान खुलते जा रहे हैं। इन संस्थानों का नियमन अधिकारियों के लिये बड़ी चुनौती बन गया है। उधर स्कूल खुलने की खबर मिलते ही पत्रकारों ने ताबड़ तोड़ ग्राउंड रिपोर्टिंग शुरु करके स्कूलाे का निरीक्षण शुरु कर दिया है। गुना के जिला शिक्षाधिकारी ने मीडिया में निरंतर छप रही अव्यवस्थाओं की खबरों के मद्देनजर व्यवस्था में सुधार के लिए पत्र जारी कर दिया। पत्र मिलते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। कर्मचारियों ने इसे तुगलकी फरमान तक बता डाला।जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा ज़ारी आदेश में कहा गया है कि विभिन्न समाचार माध्यमों से सूचनाएं मिल रही है कि शिक्षक समय पर स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। साथ ही स्कूलों की समुचित साफ सफाई भी नहीं हो रही है। यदि किसी भी शिक्षण संस्थान के बारे में इस प्रकार की शिकायत किसी भी समाचार माध्यम से पाई जाती है तो बिना किसी नोटिस और पक्ष जाने ही दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। २३ सितम्बर को ज़ारी आदेेश जैसे ही शिक्षा जगत में पहुंचा शिक्षकों में रोष व्याप्त हो गया। कर्मचारी नेताओं ने इस आदेश के खिलाफ मोर्चा खोल कर इसे मनमानी कारवाई बताया है। उनका कहना है कि कोर्ट भी आरोपी को अपना पक्ष रखने का अवसर देता है। तो क्या ज़िला शिक्षा अधिकारी कोर्ट से भी ऊपर हो गए हैं ? संबंधित व्यक्ति या संस्था को कारण बताओ नोटिस जारी कर उसका पक्ष जाने समझे बिना किसी को भी दण्डित करना बिलकुल भी न्यायसंगत नहीं है।
इनका कहना है
हम इस आदेश का घोर विरोध करते है, यह निश्चित ही एक पक्षीय कार्यवाही है।
–– कृष्ण गोपाल मीणा, जिला सचिव, मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ, गुना