राजेन्द्र सिंह भोपाल।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध मौत और उनके एक हाईप्रोफाइल चेले का मामला सुलझा भी नहीं था कि गुना से एक मन्दिर के पुजारी का विवाद सुर्खियों में छाया हुआ है। गुना में एक कलयुगी महंत को कदाचार के आरोप में मन्दिर से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।मिली जानकारी के अनुसार गुना के श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी वेदनाथ पुरी कई वर्षो से संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त थे। गुना शहर के बीचों-बीच जय स्तंभ चौराहा पर स्थित इस मंदिर का स्वामित्व श्रीआनंद अखाड़ा के पास है। अब पूर्व पुजारी हो चुके वेदनाथ पुरी पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने मंदिर परिसर में पक्की दुकानों के निर्माण के लिए लाखों रुपए व्यक्तिगत तौर पर ले लिए। इस लेन देन की सुचना तक वरिष्ठों को नहीं दी गईं और ना ही प्रशासन से कोई अनुमति ली गईं। जिसके चलते इस अवैध निर्माण को प्रशासन ने तोड़ दिया। वहीं दूसरी ओर उन पर किसी महिला के साथ संबंध होने के आरोप भी लगाए गए। जिसके चलते श्री आनंद अखाड़ा ने उन्हें मंदिर से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस निर्णय को पुजारी ने मानने से मना कर दिया तब गुना एसडीएम वीरेंद्र सिंह बघेल के न्यायालय में दोनों दोनों पक्षों से दस्तावेज मांगे गए। अखाड़ा परिषद की तरफ से श्रीमहंत दिवाकर पुरी ने अखाड़ा परिषद के नियुक्ति पत्र एवं वेदनाथ पुरी के निष्कासन पत्र को प्रस्तुत किया जिस पर एस डी एम ने अखाड़े के निर्णय पर मोहर लगा दी। पूर्व हो चूके पुजारी ने भी अखाड़े के निर्णय को स्वीकार करके विवाद का समापन कर दिया।
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