उज्जैन.
शहर की एक महिला 28 वर्षों से अपने गले में ढाई किलो की गठान लेकर तकलीफ सहते हुए जीवन जी रही थी। कई जगह दिखाया दवाईयां खाई लेकिन आराम नहीं पड़ा, गले में मुख्य नस के समीप होने के कारण डॉक्टरों ने यह कहकर ऑपरेशन करने से इंकार कर दिया कि यदि गठान निकाली तो मौत भी हो सकती है। वहीं डॉ. उमेश जेठवानी ने श्री गुरूनानक अस्पताल में महिला के गले से सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर गांठ को निकाल दिया और वर्षों की परेशानी से मुक्ति दिलाई।
राजू बाई उम्र 38 वर्ष निवासी उज्जैन पिछले 28 वर्षों से थायराईड ग्रंथी में गठान नामक बीमारी से परेशान थी। जिसके कारण मरीज के गले में सूजन बढ़ती जा रही थी। कई जगह इलाज करवाने के बाद भी आराम नहीं हुआ। गले में ढाई किलो की गठान हो गई। इस बीमारी को टॉक्सिक मल्टीनोड्युलर गॉयटर कहते हैं। मरीज के परिजन उसे श्री गुरूनानक अस्पताल में लेकर आए जहां पर जांच में पता चला कि यह गठान गले की मुख्य नसों को भी दबा रही है। डॉ. उमेश जेठवानी मरीज का नर्व प्रिसर्विंग टोटल थायरायटेक्टॉमी पध्दति से ऑपरेशन कर गले की मुख्य नसों को बचाते हुए ढाई किलो की थायराइड की गांठ को निकाला। जिसके पश्चात मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और सामान्य जीवन जी रही है।
बच्चेदानी के कैंसर से महिला को दिलाई मुक्ति
नागझिरी निवासी 50 वर्षीय महिला लंबे समय से बच्चेदानी में कैंसर से परेशान थी। कई जगह इलाज करवाने के बाद मरीज के परिजन उसे श्री गुरूनानक अस्पताल लेकर आए जहां डॉ. दिव्या जेठवानी और डॉ. उमेश जेठवानी ने मरीज का वरथाइम हिस्टेरेक्टॉमी पध्दति से ऑपरेशन कर मरीज की बच्चेदानी और आसपास के खराब हो चुके भाग को निकाला। वर्तमान में मरीज स्वस्थ है और सामान्य जीवन जी रही है। पहले इस प्रकार के ऑपरेशन इंदौर, दिल्ली, मुंबई जैसे देश के बड़े शहरों के अस्पतालों में बहुत अधिक खर्च में होते थे लेकिन अब उज्जैन में ही इस प्रकार के ऑपरेशन की सुविधा कम खर्च में उपलब्ध है।
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