– संबंधित जांच रिपोर्ट में मैगी में हानिकारक तत्व की मौजूदगी की पुष्टि होने के बाद नेस्ले इंडिया की बढ़ी मुश्किलें
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इंदौर। नेस्ले इंडिया की मुश्किलें बढ़ गई है, क्योंकि जांच रिपोर्ट में मैगी में हानिकारक तत्व लेड (शीशा) होने की पुष्टि हुई है। मामले में न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने नेस्ले की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनुसिंघवी से पूछा कि लेड की मौजूदगी वाला मैगी क्यों खाना चाहिए? उल्लेखनीय है कि सरकार ने स्वीट्जरलैंड की कंपनी पर अनुचित व्यापार व्यवहार, गलत लेबलिंग और भ्रामक विज्ञापन का आरोप लगाया था और इनके कारण होने वाली क्षति के लिए मुआवजे के तौर पर 640 करोड़ की मांग की थी। लेकिन, 16 दिसंबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने एनसीडीआरसी में चल रहे इस मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी थी। गुरुवार 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने नेस्ले के खिलाफ सरकार की तरफ से किए गए मुकदमे की सुनवाई पर रोक हटा ली। सर्वोच्च अदालत ने पूर्व में मैसूरू स्थित केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई) को निर्देश दिया था कि वह अपनी जांच रिपोर्ट जमा कराए। नेस्ले इंडिया की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनुसिंघवी ने न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति हेमंद गुप्ता की पीठ को बताया कि मैसूरू स्थित सीएफटीआरआई लैब की टेस्ट रिपोर्ट आ गई है। इसके मुताबिक मैगी नूडल्स में लेड (शीशा) की मौजूदगी तो है, लेकिन निर्धारित सीमा के भीतर। उन्होंने यह भी कहा कि कई अन्य प्रोडक्ट में भी लेड की कुछ मात्रा होती है। इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने सिंघवी से पूछा कि लेड की मौजूदगी वाला मैगी क्यों खाना चाहिए।
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