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इंदौर। अंतर्राज्यीय बाल तस्करी मामले में अब हांगकांग स्थित एशिआई मानव अधिकार आयोग (एएचआरसी) ने संज्ञान लिया है। एएचआरसी ने मामले में तत्काल संबंधितों से हस्तक्षेफ की मांग की है।
दरअसल, एएचआरसी 1984 में गठित एक एशिया स्तरीय मानव अधिकार समूह है। यह एक स्वैच्छिक अशासकीय निकाय है। जिसे संयुक्त राष्ट्र में विशेष दर्जा प्राप्त है। यह आयोग एशिया में मानवाधिकार हनन के मामलों में सजगता बरतते हुए आवश्यक कार्यवाही करता है। एएचआरसी का सहयोगी संगठन एशियन लीगल रिसोर्स सेंटर संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार परिषद् के साथ सामान्य सलाहकार की मान्यता प्राप्त है। एएचआरसी इसके साथ ही मानवाधिकार उल्लंघन पीड़ितों को न्याय दिलाने का प्रयास भी करता है। बाल कल्याण समिति (बाकस) ने तस्करी गिरोह के अंतर्गत बरामद बच्चों को ट्रेफिकर्स के परिजनों को ही सौंपने का आदेश दिया था।
जिसे लेकर आवाज संस्था से जुड़े सामजिक कार्यकर्ता ने अलग-अलग मंचों पर संपर्क किया था। एएचआरसी भी इसी तरह का एक मंच है। एएचआरसी ने इस मामले में अर्जेंट अपील जारी करते हुए इस मामले में संबंधितों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। एएचआरसी की यह अपील एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में मानवाधिकार समूहों को भेजी जाती है और फिर वे इस मामले में संबंधितों से अपील करते हैं। गिरोह का पर्दाफ़ाश करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत दुबे ने बताया की इस संबंध में एक अपील किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम) 2015 की धारा 101(1) के तहत कलेक्टर व जिला दंडाधिकारी के पास लंबित है। इसके पहले मामले में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री मेनका गांधी ने संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को जांच सौंपी है। बाल तस्करी मामले में अभी तक कुल 27 आरोपित पकड़े जा चुके है। साथ ही पुलिस ने 13 बच्चों का रेस्क्यू किया है।
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