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इंदौर। आदिवासी जिले आलीराजपुर के तहसील मुख्यालय सोंडवा में इन दिनों पंडित कमलेश किशोर नागर जी की कथा चल रही है। कथा के छठे दिन उन्होंने कहा कि इस दुनिया मे जो अभी तक महान इंसान हुआ है वो बंगले वाला नहीं झोपड़ी वाला ही हुआ है। अगर आपका तीन मंजिल का भी मकान हो उसका नाम आज से झोपड़ी रख देना। आपके अंदर से जब तक अंहकार नहीं जाएगा तब तक ओंकार नहीं मिलेगा। भगवान श्री कृष्ण ब्रह्म है। सभी की सुरक्षा के लिए कृष्ण ने समुद्र में एक नगर बनाया जिसका नाम मधुरा है। राजा बनने में जीतना मजा नहीं आएगा, जीतना बाबा बनने में आएगा। कथा में कभी कठीन बात नहीं बताई जाती।
मध्यप्रदेश वाले इसलिए महान है क्योंकि इनका सीधा ऊपर वाले से संपर्क है क्योंकि यहां कामधेनु भी हुई है। अपराध की धारा से बचकर ज्ञान की धारा की और चलो। शहद के छत्ते की मक्खी कभी भीष्ठा पर नहीं बैठती और भीष्ठा वाली कभी छत्ते पर नहीं बैठती। हम सब बदल देते है पर स्वभाव नहीं बदलते। जलेबी जैसी चीज आप शरीर में आठ घंटे से ज्यादा नहीं रख सकते तो पाप क्यों हमेशा संभाल कर रखते है। गुरू भी पाखंडी हो तो उसे छोड़ने में देर ना करे। भगवान आपको याद करें तो बड़ी बात है। आप उसे याद करों ये बड़ी बात नहीं है। हिचकी आए तो ये बोले की विधाता याद कर रहा है।
कथा के दौरान उन्होंने कहा कि ये संसारी लोग आपको याद नहींं करते है तो आपके मरने के बाद नुक्ती खाने आते है। इनको तुम्हारी मुक्ति और भक्ति से कोई मतलब नहीं है। इनको तो नुक्ती से मतलब है। युवा लड़कियां ये प्रण ले कि वो अपने मां-बाप को कन्या दान का मौका देगी तथा युवा लड़के ये प्रण ले की वो किसी लड़की को असुरक्षित नहीं महसूस होने देंगे। उन्होंने मोबाइल पर तंज करते हुए कहा कि अब कोई रिश्तेदार नहीं आएगा सिर्फ फोन आता है। चक्की का उदाहरण देकर समझाया कि जैसे चक्की के पाट जब चलते है तो अनाज पिसा जाता है पर जो दाना बीच में खिल्ली के पास रह जाता वो नहीं पिसाता है।
इसी तरह जो कथा में आता है वो बुराई से बचा रहता है। उन्होंने कहा कि थाने की धारा तथा दारू की धारा से बचो। अब तो बस ज्ञान की धारा बहना चाहिए। धारा का कितना महत्व है हमारे आदिवासी समाज में। समाजजन हर काम में दारू की धार लगाते हैं। क्या करें उन्हें यही बताया गया। जैसा जिसको बताया वह वैसा ही हो जाता है। हमेशा अच्छा बताया करो। जिससे की सामने वाला अच्छा ही कार्य करें। जिससे सबका अच्छा होगा। मनुष्य को हमेशा अपनी मर्यादा का पालन करना चाहिए। चाहे वह कपड़े पहनने की मर्यादा हो या फिर रिश्ते नाते की मर्यादा।
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