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- ताई के बेटे मिलिंद को पहचान का टोटा
इन्दौर. इंदौर सांसद और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने नौवीं बार चुनाव लड़ने तैयारी शुरू कर दी है. इस बार सुमित्रा ताई ने अपने दोनों बेटों मंदार महाजन और मिलिंद महाजन को मैदान में उतारा है. बडे बेटे मंदार महाजन को देपालपुर की जिम्मेदारी मिली है, जबकि मिलिंद महाजन ने सांवेर में काम शुरू किया है. लगता है ताई को पहले से भाजपा के लिए जो काम करते है, वे अब शायद कुबूल नहीं हैं. वहीं ताई के सामने चुनौती यह है कि, छोटे बेटे मिलिंद महाजन की क्षेत्र में न पकड़ है और ना ही पहचान है.
- मिलिंद को पहचान का टोटा
सांवेर में बैठक के लिए जब मिलिंद महाजन ने फोन लगाए, तो कार्यकर्ताओं को पहचानने में या उन्हें समझने में खासा वक्त लगा. आखिर ये मिलिंद है कौन…! सुमित्रा महाजन के पुत्र हैं, यहां तक तो ठीक है, पर जो बरसों से ताई को वोट दे रहे हैं, झण्डे उठा रहे हैं. जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं, उन्होंने कभी मिलिंद को देखा तक नहीं है. मंदार ने देपालपुर में बैठक रखी थी, लेकिन बाद में पता चला कि कैलाश विजयवर्गीय भी आ रहे हैं, क्योंकि पार्टी ने उन्हें हर विधानसभा में जाने की जिम्मेदारी दी है, लेकिन भोपाल में होने की वजह ये मीटिंग भी रद्द हो गई है.
बीते दिनों छोटे महाजन ने शहर के नेताओं को न्यौता दिया था. जिन्हें बरसों फोन नहीं लगाए थे, उनसे बात की, उनकी तारीफ भी की, चुनाव में उनकी जरूरत है, असल में इस बार सांवेर से भाजपा हारी है और देपालपुर में भी उसे शिकस्त झेलना पड़ी है. राउ भी ताई का ही इलाका है. वहां भी जीत नहीं मिली. शहर की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक में सुदर्शन गुप्ता को उनके खेमे का बातया जाता है. वो भी हार गए और विधानसभा क्षेत्र क्रमांक पांच में भी विधायक महेन्द्र हार्डिया हारते-हारते बचे और मात्र 1133 वोटों से जीते है। इसके बाद जीतने के लिए ताई का जागना जरूरी था, क्योंकि अभी तक जितने भी चुनाव जीते हैं, सभी में शहर में भाजपा के ही विधायक थे. जिससे चुनाव आसान था. लेकिन, जब ताई ने महेश जोशी को हराया था, तब कांग्रेस के पास ज्यादा विधायक थे. इस बार फिर उनकी तादाद चार तक पंहुच गई है और यही इंदौरी सांसद को खल रहा है. इसलिए उन्होंने बेटों को काम पर लगा दिया है. ताई को लगता है अगर इन इलाकों में फिर से दम नहीं भरा गया तो चुनाव जीतने में दिक्कत आ सकती है. यही वजह है कि देपालपुर में मंदार वक्त दे रहे है तो सांवेर में मिलिंद ने रविवार को मीटिंग रखी थी.
एक-दो मिटिंंग हुई, बाकी रद्द हो गई, जिसका ऐलान सोशल मीडिया पर किया गया, क्योंकि लोग मिटिाग में जुटे ही नहीं. जब फोन गए तो भाजपाइयों ने सवाल पूछा अभी तक कहां थे और अब क्यों आ रहें है. वैसे यहां ताई के पंसदीदा राजेश सोनकर जरूर है. लेकिन वो भी मिलिंद के करीब नहीं दिखे. कैलाश विजयवर्गीय जो आज बैठक ले रहे हैं, उसमें वो साथ-साथ रहेंगे. सांवेर वो इलाका है, जहां ताई का असर है. उन्होंने सडकें बनाई है काम किए हैं और जब राजेश को टिकट की बात आई थी, तब भी वो अड गई थी. उन्हें लगाता है जीत के लएि यहां से वोट जरूरी हैं उनका मानना है बेटों के भरासे जीता नहीं जा सकता है, क्योंकि उनका चलती सियासत में कोई दखल नहीं है. न ही कभी वो दिखे है. पर अब तो दिख रहे हैं और भाजपाई हलकों में इसका जिक्र भी है.
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