मोदी-शाह के इस एक दम से बदल जाएगा बीजेपी का इतिहास ?



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नई दिल्‍ली. लोकसभा चुनाव 2019 से ऐन पहले भारतीय जनता पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक दिल्ली के रामलीला मैदान में शुरू हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी के आला नेताओं समेत 10 हजार कार्यकर्ता इसमें शामिल हो रहे हैं. इस बैठक में मोदी का चेहरा होगा तो वहीं पार्टी की कमान अमित शाह के हाथों में लेकर पार्टी चुनावी मैदान में उतरेगी. हालांकि अमित शाह के अध्यक्ष का कार्यकाल इसी महीने 26 जनवरी को पूरा हो रहा है. ऐसे में तीसरी बार उन्हें अध्यक्ष चुनने के लिए पार्टी के संविधान को बदलना होगा.

2014 का लोकसभा चुनाव राजनाथ सिंह बतौर अध्यक्ष कार्यकाल में हुआ था. केंद्र की सत्ता में प्रचंड बहुमत से आने के बाद राजनाथ सिंह को मोदी सरकार में गृहमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसके बाद पार्टी की कमान अमित शाह को मिली. शाह ने राजनाथ सिंह के बचे कार्यकाल को पूरा किया. इसके बाद पहली बार 3 साल के पूरे कार्यकाल के लिए उन्हें जनवरी, 2016 में चुना गया. इस तरह राजनाथ के बचे हुए कार्यकाल के 2 साल और दूसरी बार मिले कार्यकाल के 3 साल उनके पूरे होने जा रहे हैं.

दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी के संविधान के अनुसार, एक आदमी दो ही बार पूरे कार्यकाल के लिए पार्टी का अध्यक्ष बन सकता है. सितंबर 2018 में पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में सदस्यों ने संकल्प लिया कि पार्टी 2014 चुनाव से बड़ी जीत हासिल कर 2019 में सत्ता में लौटेगी. इसके लिए अमित शाह को लोकसभा चुनाव तक के लिए अस्थायी अध्यक्ष बनाया गया है.

2019 के बाद बीजेपी तय करेगी कि किसे पार्टी की कमान सौंपी जाए. ऐसे में अगर अमित शाह को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाता है तो इसके लिए बीजेपी के संविधान को बदलना होगा.

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