अब तो लिखना पड़ेगा : ताई और भाई की अड़ के कारण इंदौर को नहीं मिला मंत्री



thedmnews.in इंदौर। ताई यानी लोकसभा अध्यक्ष व इंदौर से सांसद सुमित्रा महाजन और भाई यानी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और महू से विधायक कैलाश विजयवर्गीय। अब ये बात पूरी तरह से कांच की तरह साफ हो चुकी है कि इन दोनों नेताओं की अड़ के कारण ही इंदौर को एक बार फिर मंत्री नहीं मिला। कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में सत्ता-संगठन ने इंदौर से किसी भी विधायक को मंत्री बनाने लायक नहीं समझा। लेकिन असल बात यह है कि ताई और भाई की जिद के आगे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भी हाथ पर हाथ रख बैठना पड़ रहा है, जबकि इंदौर मुख्यमंत्री के सपनों का शहर है। सीएम के सपनों के शहर में विधायक सुदर्शन गुप्ता और रमेश मेंदोला खुद को मानो ठगा महसूस कर रहे है, क्योंकि दोनों को ही मंत्री बनने का अवसर नहीं मिला है, जबकि ये दोनों नेता पिछले कई त्योहारों से मंत्री बनने का सपना हर रोज देख रहे है। सभी जानते है कि सुदर्शन गुप्ता के लिए ताई तो रमेश मेंदोला के लिए भाई मोर्चा संभाले हुए है। पिछली बार भी बात यहीं आकर खत्म हुई थी कि या तो दोनों को मंत्री बना दो या किसी को नहीं।

  • शहर हित में भी नेता ठसक में नरमी को तैयार नहीं – इंदौर प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है और भाजपा का सबसे बड़ा वोट बैंक भी माना जाता है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सर्वाधिक वोटों से शहरवासियों ने सांसद सुमित्रा महाजन को जिताया था। ताई एक ही लोकसभा क्षेत्र से लगातार आठ बार सांसद रह चुकी हैं। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। ताई को तो शहरवासियों ने रिकॉर्ड में दर्ज करा दिया मगर शहर के हित के लिए नेता अपनी ठसक में नरमी लाने को तैयार नहीं है। विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सर्वाधिक वोटों से विधायक मेंदोला ने जीत दिलाई थी। भाजपा के पक्ष में इतना कुछ करने वाले शहर की अनदेखी अब शहरवासियों को भी नागवार लग रही है।
  • पार्टी के ही नहीं हो रहे नेता – अपनी अड़बाजी के चक्कर में नेताओं ने पार्टी को भी खूंटी पर टांग दिया है। इंदौर से किसी भी विधायक को जगह मिलती तो इसका लाभ पार्टी को ही होता। कैलाश विजयवर्गीय के मंत्री पद से हटने और केंद्र की राजनीति में जाने के बाद भाजपा की ग्रामीण राजनीति में दमदार चेहरा अभी तक तैयार नहीं हो पाया है। एक समय था जब भेरूलाल पाटीदार, निर्भय सिंह पटेल और प्रकाश सोनकर जैसे नेताओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई थी। पार्टी ने तीनों को मंत्री पद भी दिए थे, लेकिन अब संगठन ने न ग्रामीण इलाके को तवज्जो दी न शहरी को। जबकि पार्टी के ही अंदरूनी सर्वे में जिले ककी दो ग्रामीण सीटों पर भाजपा की स्थिति कमजोर है। इसके बावजूद ताई और भाई मानने को तैयार नहीं है। यह भी कहा जा सकता है कि दोनों ही नेता इस बात को लेकर अड़े है कि पार्टी में किसकी ज्यादा चलती है।  thedmnews.in
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