राजेन्द्र सिंह, भोपाल
मप्र का मीणा समाज पर्यावरण रक्षा के लिए जल जंगल और जमीन के संवर्धन और पुनर्जीवन के लिए संकल्प ले चुका है। पर्यावरण चेतना की ये यात्रा होशंगाबाद के सेठानी घाट से प्राम्भ होकर राजगढ़ जिले की अजनार नदी तक आ पहुंची है।
मीणा समाज शक्ति संगठन ने माँ नर्मदा के सेठानी घाट पर दो साल पहले 1 लाख गोल्डन फिश छोड़कर गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाया था। इसके बाद सेठानी घाट की साफ सफाई भी अपने हाथों में लेने की पहल की है।
इसी क्रम में अब राजगढ़ ब्यावरा में बहने वाली अजनार नदी जो अब नाले का रूप धारण कर चुकी को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है। अजनार नदी बारवा ग्राम से प्रारंभ होकर लगभग 50 किमी की यात्रा करके घोड़ा पछाड़ नदी में विलीन हो जाती है। कभी सदानीरा रही ये जलधारा गन्दे नाले में तब्दील हो चुकी है।
शुक्रवार शाम को ब्यावरा के अलमस्त बाबा की समाधि पर जिले भर के मीणा समाज के प्रबुद्ध जन प्रदेश अध्यक्ष राम घुनावत की अगुवाई में एकजुट हुए। पर्यावरण संरक्षण के लिए उन्होंने अजनार नदी को मूल स्वरूप में वापस लाने का संकल्प लिया।
इस भागीरथी प्रयास के लिए नदी किनारे बसे सभी ग्रामवासियों को जागरूक बनाने की योजना बनाई गई है। हर आदमी अपने हिस्से की नदी को संवारेगा तो अपने आप ही नदी का काया कल्प हो जाएगा।
इस महती कार्य में समाज के हर जाति वर्ग का सहयोग समर्थन जुटाया जाएगा। नदी के प्राथमिक सर्वे कार्य के लिए मीणा समाज के जिलाध्यक्ष दिनेश टाटू और वरिष्ठ पत्रकार गजराज सिंह को चुना गया है।
राम घुनावत ने बताया कि पर्यावरण जागरूकता के लिए पूरे प्रदेश में एक परिवार एक पौधा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। साथ ही प्लास्टिक मुक्त धरती बनाने के लिए कपड़े के थैले अपनाने का प्रचार अभियान भी जोर शोर से जारी है।
