कंचन कटारिया
मेघनगर 29 अक्टूबर। आचार्यदेव पूज्य श्री धर्मदासजी म.सा.के दीक्षा जयंती के अवसर पर अणु स्वाध्याय भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए पूज्या पुण्यशिलाजी म. सा.ने कहा कि पूज्य धर्मदासजी म.सा.ने 16 वर्ष की उम्र में धर्मसिंह अणगार की सद्प्रेरणा से स्वयं भगवती दीक्षा अंगीकार की और 19 वर्ष की उम्र में आचार्य पद ग्रहण किया।अपनी दीक्षा पर्याय में आपने 99 मुमुक्षु आत्माओं को दीक्षा प्रदान की। अंत में लूणकरण की अंतिम आराधना ‘संथारा’ से डीगने पर स्वयं ने उनकी संथारा आराधना को स्वीकार करके धारा नगरी में देह त्याग किया।तब से धर्मदास संप्रदाय के नाम से 22 संप्रदाय प्रसिद्ध हुई जो अभी तक चल रही है। इस प्रसंग पर महावीर भवन पर सामूहिक आयंबिल का आयोजन किया गया जिसमें 125 तप आराधकों ने आयंबिल व नीवि की तप आराधना की।
आयम्बिल का लाभ अणु नवयुवक मंडल ने लिया। प्रभावना का लाभ हंसमुखलाल मिश्रीमल वागरेचा परिवार ने लिया। विदूषी महासती पुण्यशिलाजी म.सा.के सानिध्य में संघ में ज्ञान, दर्शन,चारित्र व तप आराधना का दौर चल रहा है इस कड़ी में जिनेंद्र बाफना,
सुनील पावेचा व विमला चोरड़िया के 116 एकासन की तपाराधना आगे निरंतर जारी है।