संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले नर्मदा घाटी के निमाड़ के किसानों का बड़वानी में बैलगाड़ी, ट्रैक्टर मार्च





आज देश भर चल रहे किसानों के, मजदूरों के आंदोलन के पक्ष में नर्मदा घाटी के निमाड़ के किसान, मजदूर, पशुपालक, मछुआरे, बहनों और भाइयों ने मिलकर ट्रैकटर और बैलगाड़ी निकालकर अपना समर्थन दिया |

किसान, मजदूर विरोधी कानूनों को रदद् करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग की

बड़वानी। आज नर्मदा घाटी के निमाड़ के किसानों ने बड़वानी में सैकड़ों ट्रेक्टरों व बैलगाडीयों के साथ मार्च निकालकर कृषि विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग की, साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की मांग की | ट्रेक्टर रैली बड़वानी की कृषि मंडी होते हुए झंडा चौक से निकलते हुए बड़वानी के मुख्य बाजार के रास्तों से शहीद स्तंभ पहुंची जहाँ नुक्कड़ सभा करते हुए सजवानी, रेहगुन, बालकुआ, तलवाडा डेब आदि गावों में होते हुए अंजड पहुंची जहाँ बस स्टेंड पर सभा हुई |

आज नर्मदा घाटी की और से जगदीश पटेल जी ने कहा यह नया साल पिछले साल के अत्याचार और अन्याय को धो देगा जरुर और यह परिवर्तन आज चल रहे किसानों, मजदूरों के आंदोलन से ही लाया जा सकता है |

कमला यादव ने 35 साल से चल रहे नर्मदा आंदोलन के किसानी आंदोलन के जुड़ाव की बात की स्पष्टता की और कहा कि हम सब लोग जिस खेती को और खेतीहरों की संस्कृति को बचाने के लिए लड़ते आए उन्हीं को बचाने के लिए आज का आंदोलन है और नर्मदा आंदोलन को इसमें अगुवाई पर रहना पड़ता है और पड़ेगा | आज नर्मदा के विस्थापितों ने तो अपना हक लिया है लेकिन आम जनता के खेती और खून पसीने के सही दाम की बात जो न्यूनतम समर्थन मूल्य के द्वारा घोषित करने वाला क़ानून हम चाहते हैं वह क़ानून आज नहीं लाया गया है |

सनोबर बी मंसूरी ने कहा कि हम इन तीनों कृषि विरोधी कानूनों को रद्द करने की मांग करते है और साथ ही नरेंद्र मोदी अपनी हठधर्मिता छोड़े और किसानों से बात करे, मोदी सरकार की हठधर्मिता की वजह से आज 2 महीने से चल रहे किसान आंदोलन में सैंकड़ों किसानों की मौत हो गई है लेकिन इस सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।

देवराम कनेरा ने कहा कि आआज जो किसान आंदोलन चल रहा है इसकी वजह से मोदी सरकार की नींव हिल गई है लेकिन इस मोदी सरकार की तानाशाही जारी है यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

कैलाश यादव, गौरीशंकर कुमावत , जितेन्द्र मछुआरा, गेंदालाल भिलाला, बच्चूराम कन्नोजे, मुकेश भगोरिया, कमला यादव


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