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जल और जंगल के संवर्धन की अनदेखी इस सदी की सबसे बड़ी चूक – पद्मश्री महेश शर्मा



शिवगंगा गुरुकुल धरमपुरी में हुआ झाबुआ, रतलाम, आलीराजपुर जिलों के आध्यात्मिक ज्ञानानुरागिओं का समागम। पद्मश्री सम्मानित महेश शर्मा, कानू जी महाराज और रामसिंह महाराज ने किया संबोधित 

झाबुआ

शिवगंगा झाबुआ द्वारा पिछले अनेक वर्षो से सामाजिक, आध्यात्मिक जागरण का कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में गत मास से प्रतिमास कृष्णपक्ष की एकादशी को आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन होना प्रारंभ हो गया है। रतलाम, अलीराजपुर और झाबुआ जिले के विभिन्न संत परमपराओं के अनेक साधक सत्संग में शामिल हुए।  

सत्संग सभा को संबोधित करते हुए श्री महेश शर्मा ने बताया कि जगत के कल्याण की योजनाओं का जीवन में आचरण करना आध्यात्मिकता है। सृष्टि के संचालन का मूल आधार प्रकृति प्रदत्त तत्त्व; जल, जंगल, जमीन, जानवर, जन हैं। पिछले कुछ वर्षों से आधुनिक विकास की अंधी दौड़ ने मानव सभ्यता को विनाश के मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। वर्तमान समय में सम्पूर्ण मानव जति का यह कर्तव्य है कि इन अमूल्य तत्त्वों का संवर्धन करें। हर के युग की यह सबसे बड़ी आवश्यकता है, सभी जीवन सुखमय और शान्तिदायक हो, प्रकृति का संवर्धन आध्यात्मिक सतसंग का क्रियात्मक रूप है। 

गत 22 वर्षों से शिवगंगा द्वारा सतत जन जागरण का कार्य किया गया। हलमा, मातावन जैसी वनांचल की श्रेष्ठ परमपराओं को विकास का आधार बनाकर प्रकृति संवर्धन के अनेक कार्य किय जा रहे हैं। 

सत्संग सभा को आशीर्वचन देते हुए परम पूज्य कानूराम जी महाराज ने बताया कि प्रत्येक मनुष्य का धर्म का आचरण होना चाहिए। धर्म जागृति से मनुष्य सद्प्रेरणा और सद्कार्य करने की और उन्मुख होता है। आध्यात्म हमारे पूरे वनांचल जीवन के व्यवहार में दिखता था। पिछले कुछ काल खंडों में अनेकों लोगों द्वारा भ्रांतियां व भ्रम फैलाये जा रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप आज समाज मे एकता का अभाव दिखता है। हम सभी को एक साथ आकर पुनः भारत की आध्यात्मिक परंपरा का वाहक बनना चाहिए। 

सत्संग सभा में उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन करते हुए श्री रामसिंह महाराज ने बताया कि वर्तमान समय में अनेक वैश्विक चुनौतियाँ हमारे सामने विकराल रूप में खड़ी है। हमें परंपराओं के पुनर्जीवन के साथ आधुनिक ज्ञान सीखना चाहिए। हमारे पारंपरिक ज्ञान और नवविज्ञान के माध्यम से हमें इन समस्याओं के समाधान के रूप में आगे आना होगा। रामसिंह महाराज ने उपस्थित समाज जनों को संकल्प दिलवाया हम सब मिलकर परमार्थ की भावना से प्रकृति का संवर्धन करेंगे। 

कार्यक्रम के अंत में शिवगंगा के साथ ही गत 1 वर्ष से जुड़ें आई.आई.टी रुड़की के स्नातक कुमार हर्ष और बैंगलोर विश्वविद्यालय से कानून के स्नातक अविनाश मटूर का दीक्षांत पूजनीय कानू जी महाराज द्वारा किया गया और उन्हें डिग्रीयाँ सौंपी गई। कोरोना के चलते सभी विश्व विद्यालयों ने अपने छात्रों की डिग्रीयाँ भेज दी। 

कार्यक्रम का संचालन शिवगंगा के प्रमुख कार्यकर्ता राजराम कटारा ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से  जानूभाई बीलवाल, भीमा भाई डामोर, नाथूबा डामोर, खीमा महाराज, रतन भाई, उपस्थित रहे। 

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