मुनिश्री प्रसाद सागर सहित 6 मुनिराजों की गुना में भव्य अगवानी



राजेन्द्र सिंह
भोपाल

आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनिश्री प्रसाद सागरजी महाराज ससंघ 6 मुनिराजों का मंगल प्रवेश मंगलवार प्रात: हुआ। जैन समाज द्वारा स्थानीय हनुमान चौराहे पर मुनिसंघ की भव्य अगवानी की गई। मुनिश्री प्रसाद सागरजी, उत्तमसागरजी, पद्म सागरजी, शैल सागरजी, पुराण सागरजी, निकलंक सागरजी महाराज का ग्राम मावन से पैदल विहार गुना की ओर हुआ। मुनियों को हनुमान चौराहे से एक भव्य अगवानी जुलूस के रूप में हाट रोड, निचला बाजार, सदर बाजार, सुगन चौराहा, नई सड़क, पंडाजी चौराहा से होते हुए चौधरी मोहल्ला स्थित पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर लाया गया।
यहां मुनिसंघ द्वारा धर्मसभा हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ सलोनी दीदी द्वारा मंगलाचरण कर किया गया। कमेटी के पदाधिकारियों द्वारा आचार्यश्री के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन किया। इस अवसर पर मुनिश्री प्रसाद सागरजी महाराज ने कहा कि गुरुभक्ति में मुंगावली से लेकर बीनागंज तक की पट्टी एक ही है। यहां गुरुजी के प्रति समर्पण और भक्ति एक समान है। गुना की माटी ने निष्कंप सागरजी, गुण सागरजी एवं सुदत्त सागरजी महाराज जैसे तीन-तीन रत्न दिए हैं। गुना का नाम तभी सफल होगा जब धर्म कई गुना बढ़े। मुनिश्री ने कहा कि तीर्थ क्षेत्र हमारी जान हैं। सांस्कृतिक पहचान हैं। तीर्थो की रक्षा होगी तो ही धर्म संस्कृति बचेगी।
इस अवसर पर अविभाजित गुना के शाढ़ौरा नगर गौरव मुनिश्री निकलंक सागरजी महाराज ने प्रवचनों के दौरान पुराने गुना और नये गुना का उल्लेख किया। उल्लेखनीय है कि मुनिश्री निकलंक सागरजी महाराज दीक्षा के उपरांत प्रथम बार अशोकनगर-गुना क्षेत्र में आएं हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जो गुरु की भक्ति करते हैं पागलों की तरह, उन पर कृपा बरसती है बदलो की तरह। मुनिश्री ने कहा कि हमारा गुना आना तो पहले से तय था लेकिन गुरु आज्ञा के कारण रूके हुए थे।

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