आलीराजपुर/आजाद नगर। आजाद नगर वन क्षेत्र के ग्राम भावटा बिट में विगत 18 वर्षों से पदस्थ वन बिट ग्रार्ड दीवान कटारा बीते एक ही जगह पदस्थ है और कई प्रोजेक्ट में वन क्षेत्र में लाखों रूपयों के तार और खम्बों का विक्रय कर भारी भ्रष्टाचार किया है। इसके कार्यकाल में हजारों खम्बों को निजी फार्म हाउस और ग्राम कुक्षी के कई किसानों को रुपये लेकर खंभे और तारों का विक्रय किया है साथ ही रोजाना रेत के प्रत्येक दिन 70 से 80 ट्रैक्टरों के रोजाना अवैध वाहनों की भी लाखों रुपये की वसूली भी हजम कर रहा है। साथ ही जंगल से सैकड़ों पेड़ों की कटाई करवाकर स्थानीय निवासियों के साथ विक्रय भी करवाकर उनका रुपया भी हजम कर गया है। दीवान कटारा एक ही स्थान पर बीते 18 वर्षों तक किस राजनेता के समर्थन से रहा है इसकी भी जांच होनी चाहिए।
इस संबंध में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेश पटेल ने मुख्यमंत्री वन मंत्री और कलेक्टर को शिकायती पत्र भेजकर सूक्ष्म जांच और कड़ी कार्यवाही की मांग की है। पटेल ने बताया कि बीते 10 वर्षों में भावटा बिट में जितने भी प्रोजेक्ट में वन विभाग ने पौधारोपण किया है उनमें से कितने पौधे आज जीवित है उसकी जांच की जाए। कितने पौधे विक्रय किए और कितना भुगतान किया और कितने पौधों का रोपण किया कितने लोगों को मजदूरी दी गई कितने फर्जी खातों में राशि डाली गई और खाते से राशि निकालकर किस किस ने बांटी उसकी भी जांच हो। कितने बीते वर्ष भी जंगल क्षेत्र में सैकड़ों तालाब जेसीबी मशीन की सहायता से बनाए है। उसकी भी जांच हो। बेकार के पौधों का रोपण कर राशि में भारी भ्रष्टाचार किया गया है और आज भी तीन प्रोजेक्ट शुरू है जिनमें पौधा रोपण किया जाना है। पौधारोपण के साथ तार फेंसिंग में स्टील की मजबूत जालियों का इस्तेमाल करना था उसमें भी मात्र तार का ही इस्तेमाल किया गया गया। ग्राम के लोगों को रोजगार न देकर बाहर से दीवान कटारा के गृह ग्राम के मजदूरों से आज भी कार्य कर रूपयों की बंदर बाट की जा रहा है। वन विभाग के आजाद नगर रेंजर रावत भी अपने ग्रह जिले में ही पदस्थ है जबकि कोई भी कर्मचारी अपने ग्रह जिले में पदस्थ नहीं किया जा सकता और आजाद नगर एक डिप्टी रेंजर बारिया अपने गृह ग्राम की बिट में ही पदस्थ है। आजाद नगर में कई अधिकारी सैकड़ों वर्षों आजाद नगर वन क्षेत्र और बिट में ही पदस्थ और स्थांतरित होते रहते है किसी को भी भाबरा से बाहर आज तक नहीं स्थांतरित किया गया है, जिनके कारण इस की चांडाल चौकड़ी ने वन विभाग के कई प्रोजेक्ट में भारी भ्रष्टाचार किया है साथ ही वन अधिकार पत्र बनाने में भी राशि लेकर बिना जंगल काटे ही वहा के पट्टे बांट दिए गए। जब ये ही इस क्षेत्र के बिट गार्ड थे तो वहा जंगल कैसे काटे गए और खेती कैसे हुई। अतिक्रमण की रसीद कैसे बनी साथ ही मौका मुआयना किस ने किया। सारी बाते जांच का विषय है।