राजेन्द्र सिंह
भोपाल।
भारत में पति पत्नी का रिश्ता आज भी मायने रखता है। दम्पति एक दूसरे के सुख दुख को बाँटकर जीवन बिताते हैं। उम्र की सांध्य बेला में जब जीवनसाथी साथ छोड़कर अनंत यात्रा पर चला जाता है तो उसकी यादों को चिर स्थाई बनाने के लिये हमारे समाज में परोपकार के कार्य किये जाते हैं। ऐसे ही एक मामले में गुना जिले के बीनागंज निवासी सेवानिवृत्त अधिकारी ने अपनी पत्नी की याद में श्मशान भूमि में एक दुर्लभ प्रजाति का पौधा रोपा। उनकी स्वर्गवासी पत्नी को इस प्रजाति के वृक्षों से विशेष लगाव था।
ग्राम नापानेरा के निवासी कृष्ण मोहन सक्सेना राजस्व निरीक्षक के पद से रिटायर्ड होकर बीनागंज में ही बस गए। लम्बी बीमारी के बाद उनकी अर्धांगिनी श्रीमती शारदा देवी सक्सेना का निधन हो गया। परिजन जब उनकी अस्थि संचय करने मुक्तिधाम पहुंचे तो उनके पति साथ में एक गमला भी लेकर चले। अस्थि संचय का कर्म पूर्ण होने के पश्चात उन्होंने परिसर में ही गढ्ढा खोदकर एक पौधा रोपा। उसकी सुरक्षा के लिए आसपास ईंट भी जमा दीं। इस पर ट्री गार्ड भी लगाया जाएगा। उनके पुत्र बरिष्ठ पत्रकार योगेश सक्सेना ने बताया कि उनकी माताजी को इस प्रजाति के वृक्षों से बेहद लगाव था। उन्होंने गमले में इस पौधे को संभाल कर रखा हुआ था। इस पौधे की खुशबू से पूरा मुक्तिधाम और आसपास का क्षेत्र महकता रहेगा।
अस्थि संचय के लिए उनके साथ गए गणमान्य लोगों, रिश्तेदारों ने इस नवाचार की सराहना करते हुए पर्यावरण के हित में इसे अनूठा और अनुकरणीय कार्य बताया है।
दुर्लभ पौधे का नाम बता दो
लाल चंदन