राजेन्द्र सिंह
भोपाल।
जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए आधिकारी व उनके कार्यालय कितने जिम्मेदार हैं इसका नमूना गुना जिला शिक्षाधिकारी ने प्रस्तुत किया है। एक ही विषय को लेकर उन्होने एक ही दिन में संशोधन आदेश जारी कर दिए हैं। यदि कार्यालय या अधिकारी थोड़े भी सजग हो तो यों फजीहत नहीं होती है।*क्या है मामला*जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से एक आदेश २३ सितम्बर को जारी हुआ जिसमें लिखा था कि यदि सरकारी स्कूलों में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की सूचना समाचार या अन्य किसी माध्यम से मिलेगी तो बिना सुनवाई के तत्काल कारवाई की जाएगी। इस पर शिक्षा विभाग में हल्ला मच गया। बेशक आदेश के पीछे की भावना सही थी लेकिन शब्दों ने सारा खेल बिगाड़ दिया। लोगों का कहना है कि वो कैसा शिक्षा विभाग जिसका अपने ही शब्दों पर ही नियंत्रण न हो? विरोध का बिंदु था कि संबंधित संस्था या कर्मचारी का पक्ष बिना जाने एकतरफा कारवाई कैसे हो सकती है? इस खबर को the DM News ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जैसे ही विरोध के सुर जिला शिक्षा अधिकारी के कानों में पहुंचे देर शाम संशोधित नया आदेश जारी हो गया जिसमें गलती सुधारकर नियमानुसार कार्रवाई की बात कही गई है। नए आदेश की प्रतिलिपि कर्मचारी संगठन को भी दी गई। कर्मचारी जगत में इस घटना को लेकर चर्चाओ का दौर जारी है।