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सात बार मौत को करीब से देख चुके हैं रामदेव, बाबा ने बताईं वो घटनाएं



thedmnews.in बाबा रामदेव के जीवन पर आधारित टीवी सीरियल ‘संघर्ष कथा’ जो 12 फरवरी से शुरु होने जा रहा है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान योग गुरु बाबा रामदेव ने खुद से जुड़े कई पहलुओं को उजागर किया। स्वामी रामदेव ने कहा कि उनका बचपन संघर्षों और मुश्किलों में बीता है, इतना ही नहीं उन्होंने सात बार मौत को भी करीब से देखा है। ये सब कहानियां उन्हें टीवी सीरियल के माध्यम से देखने को मिलेंगी। thedmnews.in

रामदेव के जीवन पर आधारित टीवी सीरियल ‘संघर्ष कथा’ जल्द ही शुरू होने वाली है जिसमें स्वामी रामदेव की बचपन से लेकर योग गुरु बनने तक की कहानी है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बाबा रामदेव ने बताया कि गांव में उनके ही रिश्ते के लोग उनकी मां के साथ क्रूरता करते थे। थोड़ा बड़े होने पर स्वामी रामदेव ने खुद आवाज उठानी शुरू की और हरिद्वार आ गए।

एल्युमिनिय के बर्तन में रखा दूध पीने से हुई तबियत खराब
उन्होंने आगे बताया, ‘हरिद्वार पहुंचने पर मेरा साथ षडयंत्र हुआ कि एक बार 50 से ज्यादा लोगों ने मुझे घेर लिया था। मेरी मौत का पूरा इंतजाम था लेकिन मैं बच गया।’ इसके बाद एक और घटना का जिक्र करते हुए रामदेव ने बताया कि एक बार गलती से ऐल्युमिनियम पात्र में उबला दूध पी लिया था। इस वजह से उनके शरीर में आर्सेनिक का जहर फैल गया और सैकड़ों उल्टियां हुईं।

अपने जीवन के बारे में बात करते हुए स्वामी रामदेव ने कहा, ‘मैंने हर विरोध और तिरस्कार को अपनी ताकत बनाया। मेरे सफर में मेरे गुरु आचार्य वाष्र्णेय हमेशा साथ रहे।’ रामदेव ने कहा कि वह अनपढ़ माता-पिता के बेटे हैं और पैदल चलकर सरकारी स्कूल में पढऩे जाते थे।

राजनीतिक ओहदा नहीं लूंगा, यह मेरी भीष्म प्रतिज्ञा 
दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में सीरियल की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई है जिसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और वित्तमंत्री अरुण जेटली को आमंत्रित किया गया है। वहीं राजनीति में आने के सवाल पर रामदेव ने कहा, ‘राजनीति मेरे लिए राष्ट्रधर्म है लेकिन मैं कभी भी कोई राजनीतिक ओहदा नहीं लूंगा, यह मेरी भीष्म प्रतिज्ञा है। मेरा देश सुरक्षित रहे, यह मैं अवश्य चाहूंगा। कुछ हासिल करने का मेरा कोई मकसद नहीं है।’

स्वामी रामदेव ने कहा, ‘जीते जी अपनी कहाानियों को दिखाना एक और संघर्ष को बुलावा देना है लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मैं एक ठेठ देसी और शुद्ध संन्यासी हूं। मैंने हमेशा धारा के विरुद्ध अपनी जीवन यात्रा को आगे बढ़ाया है। सामाजिक दृष्टि से मुझे बहुत देर बाद अंदाजा हुआ कि मैं एक पिछड़े परिवार से आता हूं।’ thedmnews.in

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