जब भगवान विष्णु ने नारद जी को दिखाई अपनी माया



एक बार नारदजी भगवान विष्णु से कहने लगे, प्रभु आपकी माया के बारे में सुना तो बहुत है लेकिन कभी देखा नहीं। भगवान विष्णु बोले, चलो पृथ्वीलोक चलते हैं, वहां मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूं। इसके बाद नारदजी और विष्णुजी दोनों पृथ्वीलोक आ पहुंचे।

पृथ्वीलोक में वह दोनों एक ऐसे रेगिस्तान में पहुंचे, जहां दूर-दूर तक पानी नहीं था। भगवान विष्णु नारदजी से बोले, नारद! प्यास के मारे मेरा गला सूखा जा रहा है, कहीं पानी मिले तो ला दो। यह सुनकर नारदजी पानी की तलाश में निकले। बहुत चलने के बाद वह एक नदी पर पहुंचे।वहां से अपना जल भरकर वे चलने लगे, अचानक उन्हें एक सुंदरी दिखाई थी। सुंदरी इतनी रूपवती थी कि नारदजी उस पर मोहित हो गए।

उन्होंने सबकुछ भूलकर सुंदरी के आगे शादी का प्रस्ताव रख दिया। सुंदरी भी मान गई, नारद जी उस सुंदरी के घर पहुंचे तो पता चला कि वह एक राजकुमारी है। राजा ने अपनी बेटी की पसंद के वर से उसकी शादी करवा कर उसे ही युवराज घोषित कर दिया। अब नारदजी के दिन बड़े सुख चैन से कटने लगे। उनके यहां दो पुत्रों ने भी जन्म ले लिया, तभी एक दिन अचानक बाढ़ आई और पूरा राज्य तहस-नहस हो गया। नारदजी ने किसी तरह अपनी बीवी और बच्चों को बचाया।

इसी दौरान नदी पार करते समय उनकी बीवी बह गई, लेकिन वह बच्चों को बचा ले गए। उनके बच्चे बिन मां और भूख से रोने-बिलखने लगे। यह देख नारदजी विषाद से घिर गए और बुरी तरह रोने, चिल्लाने लगे। उसी दौरान भगवान विष्णु बोले, अरे नारद कहां खो गए और ये ये क्या बीवी-बच्चे लगा रखे हैं?

भगवान विष्णु जी की आवाज से नारदजी को होश आया तो पता चला कि वह सपना देख रहे थे। भगवान ने कहा, नारद असंख्य आत्माएं मेरी प्यास बुझाने के लिए अपने उद्गम से चलती हैं पर रास्ते के आकर्षणों में भटक कर कहीं से कहीं जा पहुंचती हैं। यही है मेरी माया जिसे कुछ भाग्यवान ही पार कर पाते हैं। वह वो लोग होते हैं, जिनके मन में मेरे लिए सच्ची श्रद्धा होती है।

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