कैलाश पर्वत पर एक बार महादेव शंकर ध्यानमग्न थे, तभी भगवान शिव के कानों में श्रीकृष्ण की बांसुरी की मीठी धुन पड़ी. रास लीला में उल्लासित लोगों की टोली एक साथ नाच-गाकर दिव्य आनंद की प्राप्ति कर रही थी. जब यह रास लीला शुरु हुई, तो भगवान शिव पहाड़ों में ध्यान मग्न थे. श्रीकृष्ण भी भगवान शिव के भक्त रहे हैं. हर सुबह और शाम कृष्ण महादेव के मंदिर जाया करते थे.
जब शिव ध्यान में मग्न थे और अचानक, उन्हें पता चला कि जो आनंद उन्हें ध्यान में मिल रहा है, रास में लीन बच्चे नाच कर उसी आनंद का पान कर रहे हैं. वह देखकर हैरान थे कि छोटी उम्र का उनका वह भक्त बांस के छोटे टुकड़े की मोहक धुन पर सभी को नचाकर परम आनंद में डुबो रहा था. अब शिव से रहा नहीं गया. वह रास देखना चाहते थे. वह तुरंत उठे और सीधे यमुना तट की ओर चल दिए. वह यमुना को पार कर देखना चाह रहे थे कि वहां क्या हो रहा है.