ब्रेकिंग – 17 फरवरी को इंदौर संभाग की करीब 5 हजार बसें नहीं चलेगी, बस मालिक गए हड़ताल पर



www.thedmnews.in इंदौर। इंदौर संभाग के सभी बस मालिक आगामी 17 फरवरी को एक दिवसीय हड़ताल रखेंगे। इस दिन इंदौर संभाग की करीब 5 हजार यात्री बसों का संचालन पूरी तरह से बंद रहेगा। बस मालिक पिछले चार साल से यात्री किराए में बढ़ोतरी की मांग सरकार से कर रहे है लेकिन सरकार व परिवहन विभाग द्वारा इस अोर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते इंदौर संभाग में एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा सोमवार को की गई है।

इंदौर संभाग के बस आनर्स एसोसिएषन के अध्यक्ष ब्रजमोहन राठी ने बताया कि इंदौर में संभाग स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था। जिसमें इंदौर संभाग के सभी आठ जिले इंदौर, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, धार, झाबुआ और आलीराजपुर के बस मालिकों ने भाग लिया। बैठक में यात्री बसों में किराया बढ़ोतरी और बस मालिकों की परिवहन विभाग से जुड़ी अन्य कई प्रकार की समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की गई।

संभाग अध्यक्ष राठी ने बताया कि पिछले सप्ताह सभी जिलों में बस मालिकों के द्वारा एसडीएम और कलेक्टर को जिला ईकाईयों के द्वारा यात्री किराए में बढ़ोतरी की मांग को लेकर ज्ञापन दिए गए थे। किंतु इसके बावजूद सरकार ने इन पर कोई ध्यान नहीं दिया। पष्चात संभाग स्तरीय बैठक में किराया बढ़ोतरी की मांग को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाई गई। जिसके तहत आगामी 17 फरवरी शनिवार को इंदौर संभाग के सभी जिलों में बसों की हड़ताल का निर्णय लिया गया। हड़ताल की घोषणा सोमवार को की गई हैं। संभाग अध्यक्ष राठी के अनुसार शासन के द्वारा 2014 में यात्री बसों की किराया वृद्धि की गई थी। चाल साल के दौरान डीजल, टायर, पार्टस, बस लागत, जीएसटी लागू होने से इन सभी आवष्यक चीजों में कई गुना मूल्य वृद्धि हो चुकी है। इसके अलावा परिवहन विभाग ने टीपी परमिट आवेदन की फीस दुगुनी, फिक्स परमिट की फीस 7 गुना बढ़ा दी है। टीपी परमीट की फीस  750 रुपए से 1500 रुपए और वहीं फिक्स परमीट की फीस 1500 से बढ़ाकर 10 हजार रुपए कर दी गई।

इसके अलावा फिटनेस के नियमों, स्पीड गवर्नर की अनिवार्यता सहित अन्य कई प्रकार की नियमों के लागू होने से बसों का संचालन निरंतर महंगा और घाटे का होता जा रहा है। बस मालिक घाटा उठाते हुए जैसे तैसे अपने व्यवसाय का संचालन कर रहे है। इसलिए किराया वृद्धि की बस मालिकों की मांग जायज है। बस मालिकों की मांगों की ओर सरकार ध्यान ही नहीं दे रही है। जिससे बस मालिकों, चालक परिचालकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते अब हड़ताल के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं रह गया हैं।

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