फिलहाल नहीं कटेगा बकस्वाहा का जंगल : NGT का आदेश




राजेन्द्र सिंह
भोपाल।

गुरुवार शाम जारी एनजीटी के आदेश अनुसार बकस्वाहा जंगल के पेड़ काटने पर रोक लगा दी है।
एनजीटी भोपाल में बुधवार को बकस्वाहा जंगल को लेकर लगी हुई दोनों पीटीशन की संयुक्त सुनबाई हुई। प्र. No 34 व 35/21 की संयुक्त सुनबाई में तीनों पिटीशनर उज्जवल-डॉ.पुष्पराग-डॉ.पी जी नागपाल की पीटीशन के विरुद्ध एसेल आदित्य बिरला हीरा कंपनी को अपना हलफनामा देने के निर्देश पिछली पेशी पर दिये गए थे। बुधवार को दोनों पक्षों की बहस के बाद एनजीटी ने अपना आदेश गुरुवार को सुनाया।
अपने 27 पेज के आदेश में प्रदेश व केंद्र सरकार को नोटिस के आदेश देते हुए 4 हफ़्तों में अपना उत्तर देने को कहा है। अगली सुनबाई 27 अगस्त को होगी। तब तक बकस्वाहा में कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा।
वन विभाग को पेड़ों की कटाई न होने देने के आरंभिक आदेश भी दिये गए हैं।
बकस्वाहा बचाओ आंदोलन मप्र के पर्यावरण कार्यकर्ता व गुना निवासी पिटीशनर डॉ.पुष्पराग एडवोकेट ने बताया कि एसेल आदित्य बिरला हीरा कंपनी की और से बुधवार को एनजीटी भोपाल में लगभग 30 पेज का लंबा एफिडेविड प्रस्तुत हुआ।अपने एफिडेविड में कंपनी ने स्वीकार किया कि कंपनी मप्र शासन को इस प्रोजेक्ट के बदले लगभग 27. 52 करोड़ रुपये दे चुकी है। माइनिंग विभाग कंपनी को अग्रीमेंट से 3 साल केभीतर सारे क्लीयरेंस करा कर देगी ( याने 2022 तक)। इसे 2 साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। अपने शपथ पत्र मे कंपनी ने दावा किया कि हीरा निकाले जाने बाली साइट के 10 km की परिधि में कोई रिजर्व फॉरेस्ट या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी नहीं है। फॉरेस्ट की रिपोर्ट में कोई भी विशिष्ट जानवरों की उपस्थिति नहीं बताई गयी है। अभी फॉरेस्ट का क्लीयरेंस नहीं हुआ है इसलिए प्रकरण प्री मेचुअर है। इसलिए पर्यावरण जंगल सहित सभी अनुमतियों के बिना कोई पेड़ नहीं काटा जायेगा। कंपनी ने किसी पर्यावरण कानून का उल्लंघन नहीं किया है। ग्राउंड वॉटर का उपयोग सभी आवश्यक अनुमति लेकर ही किया जायेगा। बिना सीजनल नाले को डाइवर्ट किये माइनिंग संभव नहीं होगी। निकाले गए ग्राउंड वॉटर को हम बारिश के पानी का वॉटर हार्वेस्टिंग करके रिप्लेस करेंगे। बकस्वाहा के अगले 10-12 वर्षों में 215000 पेड़ काटे जायेंगे जिनकी जगह 1.8 गुना ज्यादा 380000 पेड़ लगाने की योजना है जिसके लिए कंपनी 15.8 करोड़ रुपए का खर्च करेगी। ( याने प्रति पेड़ लगभग 415 Rs) हीरा खनन से क्षेत्र का विकास होगा। कंपनी ने बताया की इस कोर्ट में 2 व एक सुप्रीम कोर्ट में व एक हाई कोर्ट जबलपुर मे सिमिलर केस पेंडिंग हैं। हमें अनावश्यक परेशान करने इतने केस लादे जा रहे हैं।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश शेओ कुमार सिंह व विशेषज्ञ मेंबर जस्टिस अरुण कुमार वर्मा ने शासन को नोटिस देते हुए
वनविभाग को पेड़ों की कटाई न होने देने के आरंभिक आदेश दिये हैं। फिलहाल हीरों की आस में हरियाली पर कुल्हाड़ी चलने का खतरा कुछ समय के लिए तो टल गया है। बकस्वाहा जंगल बचाओ आंदोलन के सदस्य और पिटिशनकर्ता एडवोकेट पुष्पराग ने बताया कि कानूनी तौर पर भी हीरों की खदान के लिए पेड़ों की बलि नहीं दी जा सकती। बकस्वाहा की हरियाली को बचाने के लिए अदालत के साथ साथ जमीन पर भी आंदोलन किया जाएगा।

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