मातृ नवमी पर महिला आचार्यों ने करवाया श्राद्ध एवं तर्पण



राजेंद्र सिंह भोपाल।

प्राचीन भारत में महिलाओं को भी पुरुषों के ही बराबर अधिकार प्राप्त थे। यहां तक की वैदिक वेदों की रचना में भी महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। चारों वेदो की रचना मनुष्य ने नहीं की है। ऋषियों को वेद मंत्रों की अनुभूति हुई है। वैदिक मंत्रदृष्टा ऋषियों में कई महिलाओं के नाम सामने आते है जिनमें अदिति, घोषा, अपाला, लोपामुद्रा आदि प्रमुख हैं। गायत्री परिवार उज्जैन ने धर्म क्षैत्र में स्त्रियों की सहभागिता और प्रभुता स्थापित करने के लिये गुरूवार को शास्त्रोक्त विधि से श्राद्ध तर्पण का संस्कार नारी शक्ति द्वारा ही संचालित करवाया। यहां प्रतिवर्ष मातृ नवमीं को बहनों द्वारा ही संस्कार कराया जाता आ रहा है। साथ ही संस्कार के कर्मकांडो की प्रगतिशील विवेचना और वैज्ञानिक पृष्ठभूमि भी समझाई जाती है। माधुरी सोलंकी, नीति टंडन, पंकज राजोरिया ने तर्पण संस्कार संपन्न करवाया। आशा सेन, रेखा गर्ग, आशु नागर ने विधि व्यवस्था में सहयोग कर उपाचार्य की भूमिका निभाई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गायत्री परिजन उपस्थित थे।

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