www.thedmnews.com नई दिल्ली. मध्यप्रदेश में मुंगावली सीट और कोलारस सीट पर विधानसभा का उपचुनाव कांग्रेस ने जीत लिया है और दोनों सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखा. इस चुनाव को दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया की ये सीधी लड़ाई के रूप में देखा जा रहा था. अब कांग्रेस का कहना है कि 8 महीने बाद मध्यप्रेदश से बीजेपी की रवानगी तय है. निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मुंगावली से कांग्रेस उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह यादव ने भाजपा की प्रत्याशी बाई साहब यादव को 2124 मतों के अंतर से पराजित किया. कांग्रेस उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह यादव को कुल 70,808 वोट मिले, जबकि भाजपा की उम्मीदवार बाई साहब यादव को 68,684 मत मिले. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यह सीट 20,765 मतों के अंतर से जीती थी. उधर, सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) ने कांग्रेस से ओड़िशा की बीजेपुर विधानसभा सीट छीन ली. बीजद उम्मीदवार रीता साहू ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार अशोक पाणिग्रही को 41,933 मतों से शिकस्त दी.
राजनीतिक विश्लेषक मुकेश तिवारी का कहना है कि जब भी कोई दल चुनाव – उपचुनाव हारता है तो
उसके नेता बड़े अजीब तर्क के साथ हाजिर होते हैं। जैसे – हारने पर जनाधार बढ़ा। पहले से वोट ज्यादा मिले। हार का अंतर पहले से कम हुआ। नोटा ना होता तो जीत जाते। वो सीट हमेशा से विरोधी की रही। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या इतनी ताकत सिर्फ इसलिए झोंक दी थी कि पहले से ज्यादा वोट मिल जाएं। या फिर इस खातिर कि हार का अंतर पहले से कम हो जाए। क्या विरोधी द्वारा लगातार जीती जाने वाली सीट को आप कभी जीतना ही नहीं चाहते। हार आखिर हार होती है चाहे वो एक वोट से क्यों ना हो। कोई भी लड़ाई जीतने के लिए लड़ी जाती है। हां अगर आप इस दर्शन के साथ हैं कि चुनाव हार गए तो क्या दिल जीते, तो फिर क्या कहना। www.thedmnews.com
1) मुंगावली सीट
– 2013 में इस सीट पर कांग्रेस के महेंद्र सिंह कालूखेड़ा जीते थे। सितंबर 2017 में उनका निधन होने से यह सीट खाली हो गई थी। कांग्रेस ने बृजेंद्र सिंह यादव और बीजेपी ने बाई साहब यादव को अपना उम्मीदवार बनाया।
– मुंगावली के वोटर ने 1985 से कभी लगातार दो बार किसी एक पार्टी को मौका नहीं दिया है। 1985 से 2013 के बीच यहां सात बार चुनाव हुए। इनमें चार बार कांग्रेस तो तीन बार बीजेपी कैंडिडेट को जीत मिली।
2) कोलारस सीट
– कोलारस कांग्रेस की परंपरागत सीट है। पार्टी के विधायक रामसिंह यादव के निधन से यह सीट खाली हुई थी। कांग्रेस ने रामसिंह के बेटे महेंद्र सिंह को मैदान में उतारा। वहीं, बीजेपी ने देवेंद्र कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया।
2013 के मुकाबले कम पड़े वोट
– 24 फरवरी को दोनों सीटों पर 2013 में हुए चुनाव के मुकाबले कम वोटिंग हुई। इस बार कोलारस में 70.40%, जबकि 2013 में यहां 72.82% वोटिंग हुई थी।
– वहीं, मुंगावली में इस बार 77.05% वोटिंग हुई। 2013 में 77.49% वोटिंग हुई थी।
ओडिशा विधानसभा उपचुनाव- बीजेडी की बड़ी जीत
– ओडिशा की विधानसभा सीट बीजेपुर पर हुए उपचुनाव में बीजू जनता दल (बीजेडी) ने बीजेपी को 41,933 वोटों से मात दी।
– बीजेडी की रीतारानी साहू को 1,02,871 वोट मिले, वहीं बीजेपी के अशोक पनगढ़ी को कुल 60,938 वोट मिले। कांग्रेस के प्रत्याशी प्रणय साहू को 10,274 वोट मिले।
– बता दें कि यह सीट 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीती थी। यह सीट पिछले साल विधायक सुबल साहू की मौत के बाद खाली हुई थी। बीजेडी ने सुबल साहू की पत्नी रीतारानी साहू को टिकट दिया था।