मप्र में 47 आदिवासी सीटों पर उभरी नई ताकत,बीजेपी-कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी



-मप्र के विधानसभा चुनाव में आदिवासी संगठन जयस ने संभाला मैदान

-आदिवासियों के प्रभाव वाली प्रदेश में है कुल 77 सीट

इंदौर। मध्यप्रदेश में यह चुनावी साल है और प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा तथा कांग्रेस ने मोर्चा संभाल लिया है। इस बीच इस चुनाव में आदिवासी इलाकों में जय आदिवासी युवा शक्ति यानी जयस के नाम से उभरी एक नई ताकत दोनों ही प्रमुख दलों का चुनावी गणित बिगाड़ सकती हैै। लड़ाई प्रतिनिधित्व की है।
आगामी विधानसभा चुनाव में जयस दोनों ही प्रमुख दलों के लिए खतरे की घंटी हैै। आदिवासियों के अध्ािकारों के लिए यह संगठन काम करता है। यदि संगठन की तरफ से आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए जाते है तो निश्चित रूप से दोनों ही पार्टियों का वोट शेयर प्रभावित होगा। संगठन की तरफ से आदिवासियों के प्रभाव वाली कुल 77 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी है। इतना ही नहीं संगठन आदिवासियों की मांगों को लेकर 1 अप्रैल से संसद का अनिश्चितकालीन घेराव भी करने जा रहा है। जय आदिवासी युवा संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक हीरालाल अलावा है।

उनका कहना है कि देश में आज भी आदिवासी अपने संवैधानिक अधिकारों से आजादी के 70 साल बाद भी पूरी तरह वंचित है। आदिवासी इलाकों आलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, धार जैसे आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आम आदिवासी आज भी हाशिये पर खड़ा है। प्रदेश में फिलहाल 47 आरक्षित सीटों में से 32 सीटों पर बीजेपी और 15 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इनके अलावा प्रदेश में लोकसभा की 29 में से 6 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है। अभी 5 पर बीजेपी तो 1 सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। इन 6 के अलावा 4 अन्य सीटों पर आदिवासी वोट प्रतिशत फेरबदल करने में सक्षम है।

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