नई दिल्ली.
सेंसेक्स की चाल को देखें तो लगता है कि शेयर बाजार में बहार आई हुई है. कल शेयर बाजार 38 हजार के स्तर को पार कर गया. 25 जुलाई 1990 को सेंसेक्स पहली बार चार अंकों में पहुंचा था और 1001 पर बंद हुआ था. यानी कारोबार के 28 साल में यह 38 हजारी हो गया. लेकिन क्या शेयर बाजार की बहार में हर कंपनी मुनाफे के घोड़े पर सवार है या हकीकत कुछ और है इसको समझने के लिए ये विश्लेषण आपकी मदद करेगा.
ऐसे चलता है बाजार
टेस्ला के सीईओ एलम मस्क के एक ट्वीट ने शेयर बाजार के चलन को समझाने में मदद की है. ट्वीट के नीचे 96 अरब रुपए की रकम लिखी दिखी. मंगलवार को एलन ने जैसे ही ट्विटर पर ऐलान किया कि वो कंपनी को वॉलस्ट्रीट से बाहर लाकर प्राइवेट बनाने के बारे में सोच रहे हैं और 420 डॉलर प्रति शेयर की दर से निवेशकों से शेयर वापस खरीदेंगे तो कंपनी के शेयर कुलांचे मारने लगे. नतीजे के तौर पर चंद मिनटों में एलन मस्क की संपत्ति 96 अरब रुपये बढ़ गई. ये उदाहरण साफ बताता है कि दुनिया भर के शेयर बाजार सिर्फ सेंटीमेंट्स से चलते हैं. अच्छी बात यह है कि सेंटीमेंट्स का यह खेल भारतीय शेयर बाजार को भी धुआंधार बढ़त दिला रहा है.
2017 में 30,000 और 2018 में पहुंच गया 38,000 पर
5 अप्रैल 2017 को जो शेयर बाजार 30,000 पर था वो 17 जनवरी 2018 को 35000 और 9 अगस्त 2018 को 38000 पर जा पहुंचा. इसक अर्थ है सिर्फ 16 महीने में सेंसेक्स 30 हजार से 38 हजार पार कर गया. शेयर बाजार के आंकड़ों को देखें तो एक महीने में सेंसेक्स में करीब 6 फीसदी की तेजी आई और दुनियाभर के बाजारों के प्रमुख इंडेक्स में 8 महीने में भी इतनी बढ़त नहीं आई है.
तेजी की वजह क्या है- बता रहे हैं जानकार
पूंजी बाजार के जानकारों का कहना है कि निवेशक खरीदारी कर रहे हैं. फाइनेंस, बैंकिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑयल एंड गैस सेक्टर के शेयरों की अच्छी मांग देखी जा रही है. कई बड़ी कंपनियों ने उम्मीद से बेहतर तिमाही नतीजे पेश किए. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी बुधवार को बेहतर इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान जताया है. इन सबसे इतर सेंसेक्स में जिन कंपनियों का वेटेज ज्यादा है, वो लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही है और शानदार तिमाही नतीजे भी पेश कर रही हैं इसके आधार पर ही सेंसेक्स तेजी से कुलांचे भर रहा है. लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि शेयर बाजार की सारी कंपनियां अच्छा कर रही हैं या सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों में सभी शानदार परफॉर्म कर रही हैं.
शेयर बाजार को चिंता देने वाले इन आंकड़ों को भी देखें
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- इस साल 30 में से सिर्फ 12 स्टॉक्स में बढ़त हुई.
- बीएसई मिडकैप इंडेक्स तो इस साल 10 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है.
- बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स इस साल 12 फीसदी गिर चुका है.
भविष्य में भी जारी रहेगी घरेलू शेयर बाजार की उड़ान
विशेषज्ञ मानते हैं कि सेंसेक्स भविष्य में और ऊंचा उड़ सकता है क्योंकि देश की आर्थिक मजबूती के संकेत मिलने लगे हैं. जिन बड़ी कंपनियों ने इस तिमाही में अच्छा प्रदर्शन किया, वो अगली तिमाही में अच्छा प्रदर्शन नहीं करेंगी इसकी कोई वजह नहीं दिखाई दे रही है. एक बार फिर मोदी की अगुवाई में स्थायी सरकार का भाव और मजबूत हुआ है क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव से लेकर उपसभापति चुनाव तक में एनडीए मजबूत हुआ है और विपक्ष धराशायी ही दिख रहा है.
रिकॉर्ड ऊंचाई जारी रहने की उम्मीद
कुल मिलाकर शेयर मार्केट को किसी पार्टी से नहीं बल्कि स्थायित्व से ज्यादा मतलब होता है. कांग्रेस ने हाल के मौकों पर मिली थोड़ी बहुत बढ़त को गंवाया है. यानी बाजार को यही संदेश मिला कि मोदी सरकार मजबूत हो रही है. मोदी सरकार कारोबार और कारोबारियों के लिए पॉजिटिव रुख रखने वाली सरकार मानी जााती है और इसी सेंटीमेंट्स से बाजार को और मजबूती मिलती दिख रही है. लिहाजा सेंटीमेंट्स के दम पर भारतीय शेयर बाजार आगे भी अपनी उड़ान जारी रख सकता है इसकी पूरी उम्मीद है. साभार एबीपी न्यूज़
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