शिकायतें मिलने पर CM ने बदलवाए किसानों के पंजीयन के नियम



भोपाल.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जन आशीर्वाद यात्रा और अन्य माध्यमों से खरीफ फसलों बेचने के लिए पंजीयन कराने में आ रही दिक्कतों के कारण सरकार ने शुक्रवार को नियमों में बदलाव कर दिया।

अब जमीन का संयुक्त खाता होने पर सभी खातेदारों की पंजीयन केंद्र में मौजूदगी या शपथ पत्र देना जरूरी नहीं होगा। किसी एक सदस्य के आवेदन पर भी पंजीयन हो जाएगा। किसान को खसरा, वन अधिकार पट्टा या राजस्व विभाग का प्रमाणीकरण नहीं मांगा जाएगा। किसी एक स्व-प्रमाणित दस्तावेज देने पर भी पंजीयन किया जाएगा। पंजीयन की अंतिम तारीख भी 11 से बढ़ाकर 20 सितंबर कर दी गई है।

प्रदेश में इस बार रिकॉर्ड 130 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में खरीफ फसलों की बोवनी है। 2018-19 खरीफ सीजन में सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान, सोयाबीन, मूंग, उड़द, मूंगफली, ज्वार, बाजरा, मक्का सहित अन्य फसलों की बिक्री के लिए पंजीयन कर रही है। यह 11 सितंबर तक होना था। पंजीयन के लिए जो प्रावधान खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने तय किए थे, वे अव्यावहारिक थे।

चुनावी वर्ष में जटिल पंजीयन की व्यवस्था से किसानों में असंतोष होने की आशंका तो थी ही इसको लेकर मुख्यमंत्री को जन आशीर्वाद यात्रा सहित अन्य माध्यमों से शिकायतें भी मिली थीं। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को टीकमगढ़ दौरे से लौटते ही स्टेट हैंगर में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने पंजीयन की प्रक्रिया को लेकर मिल रहे फीडबैक को साझा करते हुए इसमें बदलाव के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रक्रिया इतनी सरल होनी चाहिए कि किसी को परेशानी न हो।

मुख्यमंत्री का निर्देश मिलने के बाद शुक्रवार शाम छह बजे प्रावधानों में संशोधन करते हुए सभी कलेक्टरों को आदेश जारी कर दिए। इसमें साफ किया गया कि पंजीयन के लिए भू-अधिकार ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता नहीं रहेगी। किसान का एक बैंक खाता देना ही पर्याप्त होगा। उनसे दूसरा बैंक खाता नहीं लिया जाएगा।

पंजीयन अब 20 सितंबर तक सुबह सात से रात नौ बजे तक होगा। यह समय पहले सुबह नौ से शाम पांच बजे तक था। पंजीयन के लिए 1700 अतिरिक्त पंजीयन केंद्र खोलने की अनुमति भी दी गई है। कृषि विभाग ने भी सोयाबीन, मूंग, उड़द, अरहर, मूंगफली, कपास, मिल और रामतिल फसल के पंजीयन के लिए खाद्य विभाग द्वारा जारी आदेश के हिसाब से कार्यवाही करने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैें। साभार नई दुनिया

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