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शिक्षा में फैले भ्रष्टाचार पर बनी है ‘वाई चीट इंडिया’



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मुंबई. इमरान हाशमी जल्द ही फिल्म ‘वाई चीट इंडिया’ में नजर आने वाले हैं. फिल्म शिक्षा व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार पर बनी है. इमरान इस फिल्म में राकेश सिंह का किरदार कर रहे हैं, जो पैसे लेकर परीक्षाओं में अमीर स्टूडेंट्स को पास कराने के लिए उनकी जगह होशियार स्टूडेंट्स को एग्जाम देने भेजता है. हाल ही में इमरान ने लाइव हिन्दुस्तान से खास बातचीत की और फिल्म को लेकर कई बातें बताईं.

 फिल्म वाई चीट इंडिया बनाने वाले इमरान ने क्या कभी खुद चीटिंग की है?

मैंने एक्सपीरियंस किया है। हमारे स्कूल में पेपर लीक हुआ था। मैंने खरीदा नहीं था, लेकिन मैंने कॉपी किया था। मैंने कॉपी इसलिए किया था क्योंकि मैं प्रैशर में था कि कहीं मैं फेल न हो जाऊं क्योंकि इकोनॉमिक्स बहुत ही टफ सब्जेक्ट था और मैं डर गया था। उस दिन इनविजिलेटर ने हमें कॉपी करने के लिए परमिशन दे दी और पूरी क्लास ने बुक्स खोलकर कॉपी करना शुरू किया। तो मास चीटिंग भी होती है।

आपकी फिल्म एजुकेशन सिस्टम पर क्या बता रही है?

‘लोग शायद इस चीज से वाकिफ नहीं हैं कि हमारा एजुकेशन सिस्टम कितना खोखला है। 10 साल जब हम स्कूल में बिताते हैं तो हमें क्लीयर ही नहीं होता कि हम आगे जाकर क्या करेंगे। ये हमारा स्कूल सिस्टम हमें क्लीयर नहीं करता। बहुत सारे लोग अपनी जिंदगी साइंस कॉमर्स में वेस्ट कर देते हैं क्योंकि स्कूल में हमें रट्टा मारना सिखाया जाता है। बहुत सारी दिक्कतें होती हैं। यूनिवर्सिटी में ज्यादा सीटें मौजूद नहीं हैं। इसके साथ ही चीटिंग माफिया हर स्टेट में मौजूद है। ये अनडिजर्विंग स्टूडेंट्स को सीट दिलाते हैं और वो बच्चे फिर आगे जाकर इंजिनियर और डॉक्टर बनते हैं। यही हमने फिल्म में दिखाया है।

इस फिल्म से कोई नेगेटिव प्रभाव पड़ेगा?

नेगेटिव इम्पैक्ट तो हो ही नहीं सकती क्योंकि हम सोसाइटि की नेगेटिविटी को पेश कर रहे हैं। सबको पता है हमारी सोसाइटी में ऐसा होता है। लेकिन एक फिल्ममेकर होने के नाते ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम लोगों के सामने इसे पेश करें और बिना झिझक के दिखाएं कि ऐसा होता है। फिर लोग जानें और इस पर बातचीत हो और इससे बदलाव आएं।

आप इस फिल्म के जरिए एक प्रोड्यूसर के तौर पर डेब्यू कर रहे हैं तो वाई चीट इंडिया से ही आपने इसकी शुरुआत क्यों की?

मुझे लगा कि ये बहुत ही महत्वपूर्ण फिल्म है। मैं एक मैसेज वाली फिल्म बनाऊं जो लोगों के जहन में बस जाए। मैसेज वाली फिल्में थोड़ी बोरिंग भी हो जाती है तो मैं ऐसी फिल्म बनाना चाहता था जिससे लोगों को मैसेज भी मिले और उनका मनोरंजन भी हो। इसमें लव स्टोरी है, थ्रिलर है और एजुकेशन सिस्टम के बारे में भी इसमें दिखाया गया है।

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