सहकारी समिति के प्रबंधक ने हड़पी किसानों की राशि, आरोपी को बचाने में जुटा प्रशासन



आरती जैन अशोकनगर।

साहित्य राजसत्ता का शाश्वत विपक्ष है। इस बात की तस्दीक सुप्रसिद्ध गीतकार सुदीप भोला की यह पंक्तियां सटीक रूप से करती हैं _”जो अपने कांधे पर देखो खुद हल लेकर चलता है,आख़िर उसकी कठिनाई का हल क्यों नहीं निकलता है।है जिनसे उम्मीद उन्हें बस चिंता है मतदान की…बहुत बुरी हालत है ईश्वर धरती के भगवान की,टूटी माला जैसे बिखरी किस्मत आज किसान की…। “दरअसल किसानों की आय को दोगुना करने या फिर सहकारी संस्था के माध्यम से किसानों को बिना ब्याज ऋण एवं खाद उपलब्ध कराने के सरकारी दावे कितने भी जोर शोर से किए जाएं परंतु नाकारा और भृष्ट सिस्टम की खामियों के कारण आम किसान शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहा है। ऐसा ही एक मामला अशोकनगर जिले की प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति खेजराकला में उजागर हुआ है जहां बड़ा घोटाला पकड़ में आया है लेकीन वरिष्ठ अधिकारी उसे दबाने में लगे हुए हैं। समिति प्रबंधक गयाप्रसाद खरे ने ऋण लेने वाले किसानों से लोन की राशि जमा करवाकर उनके खाते में जमा नहीं की। इस कारण समय पर बैंक कर्ज चुकाने के बावजूद सोसायटी से जुड़े कई किसान डिफॉल्टर हो गए हैं। जिससे उन्हें सोसायटी से खाद व बीज भी नहीं मिल पाया है। एक दर्जन से भी अधिक किसानों के साथ समिति प्रबंधक द्वारा धोखाधड़ी की गई है। किसानों की शिकायतों के बाद एक जांच दल का गठन किया गया परंतु जांच कर रहे अधिकारियों ने मामले की लीपापोती करते हुए दोषी समिति प्रबंधक को आंशिक ज़िम्मेदार ही माना और अपनी रिपोर्ट सौंप दी। समिति प्रबंधक गयाप्रसाद खरे पूर्व में भी अनियमितताओं के चलते निलंबित हो चुका है और अब शासकीय उचित मूल्य की दुकान में गड़बड़ी के कारण जिला सहकारी केंद्रीय बैंक गुना के द्वारा फिर से समिति प्रबंधक को निलंबित किया गया है। बैंक द्वारा संस्था का प्रभार पुरुषोत्तम शर्मा को दे दिया गया है परंतु अधिकारियों के लापरवाहीपूर्ण रवैए के कारण किसानों की समस्याओं का कोई हल नहीं निकल पा रहा है। डिफाल्टर होने के कारण उन्हे ब्याज में छूट भी नहीं मिल पा रही है।किसानों की कर्जे की राशि लेकर भी प्रबंधक द्वारा उनके बैंक खातों में जमा न कराने की शिकायत की जांच के लिए सहकारिता विभाग के सब ऑडिटर अभिषेक जैन एवं सहकारी बैंक के शाखा प्रबंधक कालूराम शर्मा को संयुक्त जांच अधिकारी बनाया गया था किन्तु आरोपी समिति प्रबंधक की मांग पर अभिषेक जैन के स्थान पर रमेश चंद जाटव को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया गया। कालूराम शर्मा एवं रमेश चंद जाटव द्वारा गयाप्रसाद खरे की आंशिक गलती बताते हुए समिति प्रबंधक के विरुद्ध कोई कार्यवाही प्रस्तावित नहीं की गई। जांच कार्य में हेराफेरी उजागर होते ही हड़कंप मच गया। आनन फानन में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा मामले की नए सिरे से जांच करने के लिए आदेश दिए गए हैं।फिलहाल किसानों द्वारा समय पर जमा की गईं ऋण राशि हड़पने वाले समिति प्रबंधक को स्थानीय अधिकारियों द्वारा बचाने का प्रयास नाकाम हो गया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने भी अशोकनगर सहकारिता विभाग द्वारा भेजी गई जांच रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। जांच अधिकारियों से प्रमाणित प्रतिवेदन के साथ ही उपआयुक्त सहकारिता से भी अभिमत मांगा गया है। मामले की शिकायत होने के बाद करीब 3 से 4 माह बाद निलंबित समिति प्रबंधक ने किसानों से ली गई राशि बैंक में जमा कराई। इससे संबंधित प्रबंधक की गलती स्पष्ट रूप से सामने आ गई। लेकिन जांच टीम में शामिल सहकारी निरीक्षक आरसी जाटव और शाखा प्रभारी जिला सहकारी बैंक अशोकनगर कालूराम शर्मा ने संबंधित प्रबंधक को बचाते हुए गोलमोल रिपोर्ट तैयार कर दी गई जो कि भ्रष्टाचार को खुला संरक्षण है। इस तमाम कवायद के बावजूद अंदरखाने की खबरों में बताया तो यहां तक जा रहा है कि बैंक द्वारा किसानों से धोखाधड़ी करने वाले आरोपी गयाप्रसाद खरे का निलंबन समाप्त कर सेवा बहाली का कतिपय आदेश जारी करने की तैयारियां की जा रही हैं।

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