नई दिल्ली। विदेशी कंपनियों को एयर इंडिया में 49 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी के लिए बोली लगाने का मौका नहीं मिलेगा। उन्हें इस विमानन कंपनी पर पूरा ऑपरेशन कंट्रोल हासिल नहीं होगा। इसके पहले एयर इंडिया की 51 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी को बेचने का प्रस्ताव भेजा गया था जिसे खारिज कर दिया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसओईसी नियमों में ढील देने का एक प्रस्ताव था, लेकिन विमानन मंत्रालय ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि इससे एयरलाइन सेक्टर विदेशियों के हाथ में चला जाएगा और इसका अर्थ यह होगा कि भारत में काम कर रहीं एयरलाइंस पर भारत सरकार का कंट्रोल खत्म हो जाएगा।
अधिकारी ने कहा कि इस बात की कोई नजीर नहीं है कि किसी सरकार ने विमानन कंपनियों का नियंत्रण विदेशियों के हाथ में दे दिया हो। उन्होंने कहा कि कोई भी देश अपनी एयरलाइंस पर कंट्रोल खोना ठीक नहीं समझता।
एसओईसी क्लॉज से यह सुनिश्चित होता है कि भारत में काम कर रहीं एयरलाइंस पर भारतीय नागरिकों का कंट्रोल रहे और भारतीय ही इन्हें मैनेज करें। इसके मुताबिक, विमानन कंपनियों के निदेशक मंडल में दो तिहाई सदस्य और चेयरमैन भारतीय होने चाहिए। यह नियम 49 प्रतिशत विदेशी हिस्सेदारी वाली एयरलाइंस पर भी लागू होता है। विमानन कंपनियों के ऑपरेशनल हेडक्वॉर्टर भी भारत में होने चाहिए।
सरकार ने 2018 में एअर इंडिया में 76 प्रतिशत हिस्सा बेचना चाहा था। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने एयर इंडिया में पूरा सरकारी हिस्सा बेचने का प्रस्ताव इस वर्ष 7 जनवरी को मंजूर किया था।
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