प्राइवेट बैंकों का सरकारीकरण चाहते हैं बैंक यूनियन, उठे गंभीर सवाल



thedmnews.com एक तरफ जहां औद्योगिक चैंबर सरकारी बैंकों का निजीकरण चाह रहे हैं वहीं, कारपोरेट गवर्नेंस में चूक और सूचना छुपाए जाने के आरोपों के बीच सरकारी बैंकों के श्रमिक संघों ने निजी बैंकों के सरकारीकरण की आवाज बुलंद की है। श्रमिक संघों ने कहा कि विभिन्न तरह के आरोप और दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाए जाने से जनता के धन से निपटने की उनकी योग्यता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। हाल की घटनाओं ने भी सबसे सक्षम बैंक होने के उनके दावे की हवा निकाल दी है। ऑल इंडिया बैंक ऑफीशर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) के महासचिव डीटी फ्रांको ने एक बयान में कहा कि सरकार के प्रिय कई निजी बैंक संकट में हैं और आईसीआईसीआई बैंक तथा एक्सिस बैंक इनके उदाहरण हैं। thedmnews.com

सरकार, आरबीआई को करना चाहिए हस्तक्षेप
एआईबीओसी के संयुक्त महासचिव रविंद्र गुप्ता ने कहा कि इसलिए यह इसका बिल्कुल सही वक्त है कि केंद्र सरकार और आरबीआई हस्तक्षेप करे तथा निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण करे, ताकि बैंकिंग क्षेत्र अर्थव्यवस्था के उच्च स्तर पर पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए और कृषि क्षेत्र तथा रोजगार सृजन में विकास हो।

गुप्ता ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि अधिकतर निजी बैंकों के मालिक विदेशी निवेशक हैं और वे शेयरों के ऊंचे मूल्य तथा लाभांश यील्ड का लाभ उठाते हैं। निवेशक लाभ का एक बड़ा हिस्सा ले लेते हैं। दूसरी ओर सरकारी बैंक लाभ का एक हिस्सा लाभांश के रूप में सरकार को देते हैं, जिसका उपयोग देश में विकास की गतिविधियों में होता है।

ऑल इंडिया बैंक एंप्लाईज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने भी इसी तरह के स्वर में कहा कि अब हर कोई इस बात से अवगत हो चुका है कि बैंकिंग सेक्टर में कथित रूप से दक्ष माने जाने वालों की असली हालत क्या है।

उन्होंने कहा कि जब से पंजाब नेशनल बैंक और नीरव मोदी का धोखाधड़ी मामला सामने आया है, तब से विभिन्न पक्षों के लोग सरकारी बैंकों के निजीकरण की मांग कर रहे हैं। पहले उद्योग संघ एसोचैम ने इसकी मांग की और इसके बाद फिक्की ने। इसके बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और नीति आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन ने भी इसमें सुर मिला दिया।

वेंकटचलम ने कहा कि वे यह भूल गए कि 1947 से 1969 (जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ) तक 736 निजी बैंक कुप्रबंधन के चलते बंद हो चुके थे। 1969 के बाद भी 36 निजी बैंक या तो असफल हो गए या उनका दूसरे बैंकों में विलय हो गया।

एक्सिस, आईसीआईसीआई में 9 लाख करोड़ जमा
उन्होंने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक दोनों के पास लोगों की नौ लाख करोड़ रुपये तक की राशि जमा है। इस धन को बचाने की जरूरत है। कई लोग निजी बैंकों में बेहतर गवर्नेंस की बात करते हैं। आईसीआईसीआई बैंक को रोल मॉडल के तौर पर पेश किया जा रहा था। अब देखिए उसमें क्या हुआ।

उन्होंने कहा कि इस बैंक में ऋण जारी करने में भ्रष्टाचार और मित्रवाद का गंभीर आरोप है। लंबे समय से अनैतिक काम चल रहे हैं। शीर्ष अधिकारियों को बदल देने भर से काम नहीं चलेगा। अब समय आ गया है कि सरकार आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक का राष्ट्रीयकरण कर दे।

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