- जिला शिक्षा समिति अध्यक्ष भरत पोरवाल ने किया स्कूल का दौरा
उज्जैन। 5वीं तक के बच्चों को फैल न किये जाने के पीछे सरकार की मंशा शायद उनके बचपन के अमूल्य एक वर्ष को बर्बाद न किये जाने की रही होगी लेकिन उज्जैन के जिला शिक्षा अधिकारी और शासकीय स्कूलों के शिक्षकों ने इसका उपयोग करने की बजाए दुरूपयोग करना शुरू कर दिया। जो बच्चों को फैल तो नहीं कर रहे लेकिन पढ़ा भी नहीं रहे, और हालात यह हो गए कि स्कूल का अच्छा रिजल्ट दिखाने के चक्कर में 70 से 80 प्रतिशत अंक दे रहे हैं जबकि उन बच्चों को न तो अ, आ पढ़ना आता है, न नाम लिखना। ऐसे ही एक स्कूल की जानकारी जिला शिक्षा समिति अध्यक्ष भरत पोरवाल को लगी तो उन्होंने एक स्कूल में जाकर पास हुए बच्चों को बुलाया और जब उनसे कुछ पढ़ने, लिखने को कहा तो उज्जैन जिले के सरकारी स्कूलों में कराई जाने वाली पढ़ाई की पोल खुल गई।
शासकीय प्राथमिक विद्यालय बमनापाती संकुल इंगोरिया में जिला शिक्षा समिति अध्यक्ष भरत पोरवाल सोमवार को पहुंचे। यहां चौथी तथा 5वीं के बच्चों को 70 से 80 अंक प्राप्त हुए। यहां के ही रहने वाले प्रेमसिंह का कहना है कि उनकी बच्ची आरती को 80 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए 5वीं में में खुश हुआ लेकिन दुख तब हुआ जब मैंने उससे घर आए एक पत्र को पढ़ने को कहा वह पढ़ नहीं सकी। फिर मैंने उससे जिस कक्षा में पास हुई उसकी किताब में से पढ़ने को कहा वह उसमें से भी नहीं पढ़ पाई। इसकी शिकायत यहां पदस्थ शिक्षक रामप्रसाद राठौर से की तो उन्होंने बच्चे की पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कहने की बजाय कह दिया कि पढ़ाना है तो प्रायवेट स्कूल में ले जाओ। वहीं यहीं पढ़ने वाले साहिल नाम के बच्चे से जब उसका खुद का ही नाम लिखने को कहा गया तो वह नहीं लिख पाया। इसी प्रकार यहां पढ़ने वाले लगभग 42 बच्चों में हर बच्चा पास तो हो गया लेकिन पढ़ने-लिखने में फैल हो रहा है। जिला शिक्षा समिति अध्यक्ष भरत पोरवाल ने कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी संजय गोयल जैसे भ्रष्ट अधिकारी भाजपा के मंत्री के दबाव में भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। गोयल द्वारा शासकीय स्कूलों में मॉनीटरिंग नहीं की जाती। जिसके कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षा का ढर्रा बिगड़ रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मंत्री का संरक्षण प्राप्त है जिसके कारण 2-3 साल में ही बिल्डिंगें जर्जर हो रही है, छात्रावासों की हालत खराब है लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होती। शिक्षा विभाग में ईमानदार अधिकारी बैठेगा तो ही बच्चों का भविष्य बचेगा वरना रोडवेज के सरकारी बसों जैसी हालत शिक्षकों की हो जाएगी। जिस दिन बच्चे पढ़ना बंद हो जाएंगे उस दिन ताले लगाकर स्कूल बंद हो जाएंगे और शिक्षकों को घर भेज दिया जाएगा। वहीं यहां पदस्थ शिक्षक धन्नालाल के अनुसार हमने कभी किसी बच्चे को प्रायवेट स्कूल में जाने को नहीं कहा। हम ईमानदारी से बच्चो को पढ़ा रहे हैं।