thedmnews.com नई दिल्ली.चीनी महंगी हो सकती है। जीएसटी काउंसिल 4 मई को चीनी पर सेस लगाने का फैसला कर सकती है। सेस से इकट्ठा हुए फंड से मिलें गन्ना किसानों की बकाया रकम चुकाएगी। इस बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री अरुण जेटली करेंगे। एफई की खबर के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ये जानकारी दी है। इस फंड के जरिए गन्ना किसानों को रंगराजन कमेटी के सुझावों के मुताबिक पैसा दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में मिलों पर किसानों का बहुत पैसा बकाया है।
सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, खाद्य मंत्री राम विलास पासवान और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का पैनल भी गन्ने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड सब्सिडी के प्रस्ताव पर राजी था। पैनल की इथेनॉल पर जीएसटी घटाने पर भी सहमति है। अभी इथेनॉल पर 18 फीसदी जीएसटी है। इथेनॉल गन्ने का बाइ प्रोडक्ट है। 2019 के चुनावों के पहले गन्ना किसानों का बकाया चुकाना सरकार को बड़ी राहत दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक चीनी पर 1 से 1.5 रुपए तक का सेस लग सकता है। इस बारे में खाद्य मंत्रालय ने भी कानून मंत्रालय और वित्त मंत्रालय को सलाह के लिए पत्र लिखा था।
रंगराजन कमेटी ने 2012 में गन्ने की उचित कीमत देने का सुझाव दिया था। अभी फैक्टरी में चीनी की कीमत 23 फीसदी गिर चुकी है। ये 2,800 रुपए क्विंटल है। अगर इसमें रंगराजन फॉर्मुला जोड़ दिया जाए तो किसानों को प्रति क्विंटल 226.80 रुपए मिलेंगे। मार्च अंत तक गन्ना किसानों का 19,780 करोड़ रुपए बकाया हो चुका है। हालांकि जीएसटी में सेस लगाना उसकी मूल आत्मा के खिलाफ है। जीएसटी काउंसिल 4 मई की बैठक में इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कोई फैसला कर सकती है। अगर काउंसिल सेस लगाने का फैसला करती है तो आपकी चीनी 1 से 2 रुपए प्रति किलो महंगी हो सकती है।
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