thedmnews.com आजादी के सात दशक बाद भी राजस्थान के धौलपुर जिले में स्थित गांव में इतने बदतर हालात हैं कि कोई भी यहां अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता था। यहां लड़कों की शादियों का सिलसिला दो दशक पहले ही थम चुका था। यहां सड़क तक नहीं है और पानी के लिए मात्र एक हैंडपंप, जिसमें भी पानी खारा। हालातों को देखकर लगता है कि धौलपुर शहर से मात्र 6 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव की कोई सुध लेने वाला है ही नहीं। जो भी अपनी बेटी के रिश्ते के लिए आता, वह वापस नहीं आता था। लेकिन अब 22 साल बाद यहां लोगों ने बारात देखी।
इन छात्रों ने ‘सेव राजघाट’ अभियान चलाया। एक कच्ची सड़क बनवाई, शौचालय बनवाए, सोलर से बिजली और आरओ से पीने के पानी की व्यवस्था की। इन व्यवस्थाओं के बाद अब यहां लोग अपनी बेटी की शादी करने को तैयार हुए हैं। यहां के निवासी पवन की शादी होने के बाद दो और बारातों की तैयारियां चल रही हैं। इस गांव में 40 से अधिक परिवार रहते हैं और आबादी 300 से अधिक है।
धौलपुर निवासी अश्वनी पाराशर ने बताया कि जब वे 2015 में इस गांव में पहुंचे, तो ग्वालियर रोड से इस गांव तक पहुंचने के लिए रास्ता बड़ा ही कच्चा व दुर्गम था। तब उन्होंने व उनके साथियों लोकेंद्र, प्रहलाद, प्रणव, सौरक्ष और चौबसिंह ने हालात बदलने का बीड़ा उठाया। उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन की याचिका दायर की, वहीं क्राउड फंडिग की व्यवस्था की और साथ ही एनजीओ के माध्यम से यहां गांव में सुविधाएं देने के प्रयास शुरू किए। कच्ची सड़क है, लेकिन अब इस रास्ते पर वाहन दौड़ सकते हैं। शौचालय बने, जिसका लोग उपयोग कर रहे हैं। वहीं, पवन की शादी में सोलर लैम्प की मदद रौशनी बिखेरी गई।
छात्रों के इस प्रयास ने अब रंग ला रहे हैं। इन छात्रों ने गांव वालों की शराब छोड़ने सहित अन्य कुप्रथाओं के जाल से निकलने के लिए शपथ तक दिलाई। गांव वालों को अपने बच्चों को पढ़ने देने के लिए प्रोत्साहित किया। हाईकोर्ट में सुनवाई अभी जारी है। ‘धौलपुर के गांवों के हालात काफी बदतर हैं। इस गांव में पवन की शादी से 22 साल बाद खुशियां लौटकर आ गई हैं। अभी बहुत कुछ करना बाकी है।’
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