thedmnews.com कच्चे तेल के चार साल के उच्च स्तर पर पहुंचने से रुपया भी आज डॉलर के मुकाबले 67 के स्तर को पार कर गया। भारत में मुद्रा बाजार के बंद होने के समय अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क वाला ब्रेंट क्रूड 75.73 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। 2015 में तेल 45.25 डॉलर प्रति बैरल पर था, जिससे सरकार को राजकोषीय लक्ष्य को बहुत हद तक पूरा करने में मदद मिली थी। लेकिन उसके बाद से सरकार राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के दायरे में रखने में सफल नहीं हो पा रही है। अब तेल की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है, इसलिए भारत के लिए इस लक्ष्य को हासिल करना और भी कठिन हो सकता है।
भारत अपनी जरूरत का करीब 70 फीसदी तेल आयात करता है। उधर, विदेशी निवेशक भी भारतीय बाजार से अपना निवेश निकाल रहे हैं। पिछले 13 दिनों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। इससे राजकोषीय और चालू खाता घाटा दोनों के बढऩे का खतरा है और रुपये में नरमी इसका संकेत दे रहा है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 67.14 पर बंद हुआ जबकि घरेलू शेयर बाजार बढ़त के साथ बंद हुए। डॉलर सूचकांक अधिकांश प्रमुख मुद्राओं की तुलना में मजबूत बना हुआ है और 92.44 पर कारोबार कर रहा है, जो पिछले साल दिसंबर के बाद का उच्चतम स्तर है। सोमवार को सभी एशियाई मुद्राओं में डॉलर के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई लेकिन रुपया सबसे ज्यादा 0.40 फीसदी कमजोर हुआ। इस साल अब तक रुपये में 4.87 फीसदी तक की नरमी आई है। हाल में रुपये में मजबूती की संभावना भी कम ही है। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को उम्मीद है कि उसकी ओर से डॉलर की बिकवाली से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव में कमी आएगी। मुद्रा कंसल्टेंट आईएफए के अनुसार रुपया 67.40 से 67.50 तक जा सकता है और तेल की कीमतों में तेजी का रुख बना रहा तथा घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो रुपया डॉलर के मुकाबले 70 के स्तर तक पहुंच सकता है।
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