जब भी प्रेम की मिसाल दी जाती है तो श्रीकृष्ण-राधा के प्रेम का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है. राधा-श्रीकृष्ण के प्रेम को जीवात्मा और परमात्मा का मिलन कहा जाता है. सदियों से पीढ़ी दर पीढ़ियां राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी पढ़ती चली आ रही हैं लेकिन जब भी हम राधा-श्रीकृष्ण की प्रेम कहानी सुनते हैं तो मन में यही सवाल आता है कि श्रीकृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया? इसके पीछे कई तरह की व्याख्याएं दी जाती हैं. आइए जानते हैं उन सभी कहानियों के बारे में… कुछ विद्वानों के मुताबिक, राधा-कृष्ण की कहानी मध्यकाल के अंतिम चरण में भक्ति आंदोलन के बाद लोकप्रिय हुई. उस समय के कवियों ने इस आध्यात्मिक संबंध को एक भौतिक रूप दिया गया. प्राचीन समय में रुक्मिनी, सत्यभामा, समेथा श्रीकृष्णामसरा प्रचलित थी जिसमें राधा का कोई जिक्र नहीं मिलता है. 3228 ईसा पूर्व देवकी पुत्र श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. कुछ समय तक वह गोकुल में रहे और उसके बाद वृंदावन चले गए थे.
श्रीकृष्ण राधा से 10 साल की उम्र में मिले थे. उसके बाद वह कभी वृंदावन लौटे ही नहीं. इसके अलावा कहीं यह जिक्र भी नहीं मिलता है कि राधा ने कभी द्वारका की यात्रा की हो. दक्षिण भारत के प्राचीन ग्रन्थों में राधा का कोई उल्लेख नहीं मिलता है.