जो बेटे आयुष स्नातक पढ गए हैं उन्हें तो नौकरी दो – डॉ.पाण्डेय



thedmnews.com भोपाल. बेटी बचाओ- बेटी पढाओ बहुत अच्छी बात है परंतु प्रदेश के जो हजारों  बेटे आयुर्वेद स्नातक व स्नातकोत्तर ( बीएएमएस व एमडी) पास कर लिए हैं, उनको नौकरी तो दे सरकार। यह बात मध्यप्रदेश आयुर्वेद सम्मेलन व आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय ने कही. डॉ पाण्डेय ने बताया कि 1989 के बाद बीते 28 वर्षों में प्रदेश में संविदा व नियमित दोनों आधार पर लगभग 3500  आयुर्वेद, होम्योपैथी व यूनानी आयुष चिकित्सकों समेत आयुष  चिकित्सा शिक्षकों के पद भरे गए, जबकि वर्तमान में 25000  बीएएमएस, बीएचएमएस, बीयूएमएस आयुष डिग्रीधारी व 500 आयुष पीजी  डिग्रीधारी युवा सरकारी नौकरी की बाट जोह रहे हैं. इनमें से चार हजार तो ओवर एज हो गए और आगे आने वाले 6 माह में लगभग एक हजार और ओवर एज हो जाएंगे. प्रदेश सरकार नौकरी निकालती नहीं और अन्य राज्यों में यहां के युवा आयुष स्नातकों को प्राथमिकता नहीं , तो आखिर कहां जाए ये युवा.
डॉ राकेश पाण्डेय ने कहा कि बीते महीनों में तत्कालीन आयुष मंत्री रुस्तम सिंह जी ने 700 आयुर्वेद डॉक्टरों की भर्ती का आश्वासन दिया था परंतु अब तक यह कोरा आश्वासन ही नजर आ रहा है। छत्तीसगढ, पंजाब, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड जैसे प्रदेशों में समय – समय पर आयुष डॉक्टरों की भर्तियां होती रहती हैं परंतु आयुष विभाग मध्यप्रदेश व प्रदेश शासन मौन है. डॉ पाण्डेय ने बताया कि अनेकों बार मध्यप्रदेश आयुर्वेद सम्मेलन, आयुष मेडिकल एसोसिएशन व अन्य आयुष संगठनों ने संचालनालय आयुष, आयुष मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, माननीय मुख्यमंत्री जी को इस संबंध मे चर्चा करने के साथ ही ग्यापन दे चुके हैं परंतु अब तक कोरा आश्वासन ही मिलता रहा है. डॉ पाण्डेय ने कहा कि अगर अनशन के बाद ही सरकार नियुक्तियां करने की मानसिकता रखती है तो प्रदेश के 35000 आयुष स्नातक व स्नातकोत्तर डॉक्टरों को हडताल व अनशन के बारे में सोचना होगा. परंतु इससे पूर्व हम आयुष मंत्री श्री जालम सिंह पटेल व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी से अनुरोध करते हैं कि शीघ्र ही लगभग 5000 आयुष डॉक्टरों की नवीन भर्तियां की जाए ताकि जनमानस के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके. भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर, उज्जैन, खण्डवा, धार , झाबुआ, रीवा, सतना, शहडोल, रतलाम, मंदसौर, नीमच, छिंदवाडा समेत प्रदेश की  समस्त पीएचसी, सीएचसी के शासकीय अस्पतालों में लगभग बीस हजार डॉक्टरों की त्वरित आवश्यकता है.

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