हर मोर्चे पर विफल शिवराज, पद छोड़ें – कमलनाथ



दलित किसान को जिंदा जलाने की घटना ने प्रदेश को किया शर्मशार
प्रदेश में अराजकता का माहौल, शिवराज सरकार हर मोर्चे पर विफल
शिवराज सिंह को पद पर रहने का अधिकार नहीं

भोपाल.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे बैरसिया तहसील के परसोलिया घाटखेड़ी गांव में दबंगों द्वारा दलित किसान किशोरीलाल जाटव को उनकी पत्नी के सामने जिंदा जलाने की घटना ने प्रदेश को पूरे देश में शर्मशार कर दिया है ।

कमलनाथ ने कहा कि यह घटना वीभत्स, नृशंस व झकझोरने वाली घटना है । प्रदेश में दलित व किसान दोनों वर्ग निरंतर उत्पीड़न का शिकार हो रहा है । इन पर अत्याचार की घटनाएं निरंतर बढ़ रही है । शिवराज सरकार का इन पर कोई नियंत्रण नहीं है । पीड़ित किसान व उसका परिवार, निरंतर दबंगों के अत्याचार से दुखी होकर शिकायतें कर रहा था लेकिन दलित वर्ग का होने के कारण उसकी शिकायत को अनदेखा किया गया । यदि समय रहते उसकी शिकायत पर कार्यवाही कर दी होती तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। ऐसा भी पता चला है कि आरोपी पक्ष भाजपा से जुड़ा होकर उसे सत्ताधारी दल के नेताओं का खुला संरक्षण प्राप्त था । इसलिये भी इसकी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और उसे न्याय मिलने की बजाय अपनी जान से हाथ धोना पड़ा ।

कमलनाथ ने कहा कि दोषियों पर अविलम्ब कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो । कांग्रेस ने इसको लेकर तीन सदस्यीय समिति का गठन कर उसे तत्काल मौके पर जाकर शीघ्र ही इस पूरे मामले की रिपोर्ट देने को कहा है । प्रदेश में स्थिति दिन पर दिन भयावह होती जा रही है । पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल है। प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज दिखाई नहीं देती । शिवराज सिंह का नियंत्रण खत्म हो चुका है । सरकार हर मोर्चे पर विफल हो रही है। शिवराज सिंह ने पद पर रहने का हक खो दिया है।

किसानों की स्थिति बेहाल, आत्महत्या का दौर जारी

शिवराज सरकार खेती-किसानी को लेकर बड़े बड़े दावे करती है । करोड़ों रूपये विभिन्न योजनाओं के नाम पर किसानों को देने की बात करती है । प्रदेश के किसान पुत्र मुखिया दावा करते है कि खेती और किसानी के लिए जो उन्होंने किया वह आज तक किसी ने नहीं किया, जबकि स्थिति इसके उलट है । देवास जिले के पुरौनी गांव के किसान धनसिंह की बैल की जगह परिवार के साथ हल में जुतने की जो तस्वीर सामने आई है, वह शिवराज सरकार की योजनाओं व जमीनी हकीकत की वास्तविकता खुद बयान कर रही है कि आज किसान किस स्थिति में है । आज गरीबी और भुखमरी के कारण अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए उसे मासूम बच्चों और परिवार के साथ हल में जुतना पड़ रहा है । वहीं दूसरी ओर प्रदेश के मुखिया सरकारी खजाने से करोड़ों रूपये खर्च कर जन कल्याण योजनाओं के प्रदेश भर में सम्मेलन आयोजित कर गरीबी हटाओ को लेकर कोरी भाषणबाजी परोस रहे हैं । सरकार की किसी भी योजना का लाभ न गरीब को मिल रहा है न किसानों को । बस उनके नाम पर भाषणबाजी व घोषणाएं की जा रही हैं । सरकार की नीतियों व कर्ज के बोझ के कारण प्रदेश में आत्महत्या का दौर निरंतर जारी है। कल ही मंदसौर व सतना में किसानों का आत्महत्या के बाद कल इंदौर में किसान दंपत्ति द्वारा कर्ज के बोझ के कारण आत्महत्या की खबर ने किसान पुत्र की सरकार की सारी पोल खोलकर रख दी है। आज प्रदेश में किसान कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है और शिवराज सरकार इस सच्चाई को स्वीकारने तैयार नहीं है।

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