एक बार फिर मेट्रो का झुनझुना दिखाकर जनता
को गुमराह करने में लगी शिवराज सरकार
– कमलनाथ
भोपाल.
प्रदेष कांगे्रस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि एक बार फिर चुनावी वर्ष में हर मोर्चे पर फेल शिवराज सरकार मेट्रो का झुनझुना दिखाकर जनता को गुमराह करने में लग गयी है।
कमलनाथ ने कहा कि किसान, युवा, महिला सम्मान, विकास सहित हर मोर्चे पर फैल शिवराज सरकार हर बार की तरह इस बार फिर चुनावी वर्ष में प्रदेश के दो प्रमुख शहर भोपाल व इंदौर में मेट्रो के नाम पर झूठ परोसकर जनता को गुमराह करने की कोशिश में लग गयी है। कर्ज की बैसाखी पर चल रही सरकार फाईलों और कागज की पटरियों पर इस तरह के सपने पिछले ग्यारह वर्षों से प्रदेश की जनता को दिखा रही है। इंदौर-भोपाल के बीच लगभग 200 किलोमीटर के ट्रेक पर 50 हजार करोड़ रूपयों का संभावित खर्च है, सरकार को पहले प्रदेश की जनता को यह बताना चाहिये कि इसकी क्या व्यवस्था की गई है?
श्री नाथ ने कहा कि अब जबकि सरकार का केवल चार माह का कार्यकाल ही बचा है तो एक बार फिर मेट्रो का जिन्न शिवराज सरकार ने पिटारे से निकाल लिया है। अभी मेट्रो के प्रस्ताव पर मात्र सैद्धांतिक मंजूरी मिली है। प्रक्रिया के कई दौर बाकी हैं।
इसको लेकर फंड की व्यवस्था से लेकर कई इंतजाम करना बाकी है। लेकिन एक लाख 70 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी शिवराज सरकार करोड़ों के मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर जनता को एक बार फिर गुमराह करने में लग गयी है। जबकि पिछले कई वर्षों में मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर से लेकर प्रदेश के कई जिम्मेदार नेता मेट्रो प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े कर चुके हैं।
कमलनाथ ने कहा कि दोनों शहरों में मेट्रो से चालू हुई सरकार कभी लाइट मेट्रो व कभी कुछ रूट पर ही मेट्रो की बात तक ही सीमित हो गई है। भाजपा सरकार चुनावी वर्ष में मेट्रो प्रोजेक्ट के आफिस शुरू कर कुछ दिखावटी काम चालू कर जनता को गुमराह करने का काम कर सकती है। सरकार को इन दोनों शहरों के मेट्रो प्रोजेक्ट की पूरी डीपीआर रिपोर्ट सहित राशि का इंतजाम व प्रारंभिक तैयारियों की स्थिति पहले स्पष्ट करना चाहिए?
कमलनाथ ने कहा कि मेट्रो का काम दूसरे प्रदेशों के कई शहरों में घोषणा के बाद पूरा होकर, मेट्रो भी वहां चालू हो चुकी है। लेकिन प्रदेश की 15 साल की भाजपा सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पायी है। केवल झूठे आश्वासन व दिलासा देकर जनता को गुमराह कर रही है। पूर्व में 2015 में मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर जापान की कंपनी जायका से कर्ज लेने की बात सरकार ने प्रचारित की। लेकिन बाद में यह कंपनी भी पीछे हट गई। उल्टा फिजीविलिटी सर्वे, कंसलटेंसी सहित अन्य खर्चों पर करोड़ों रूपये सरकार ने खर्च कर दिये। सरकार इन सब बातों पर स्थिति स्पष्ट करे?
ससम्मान प्रकाशनार्थ (नरेन्द्र सलूजा)
श्रीमान संपादकजी मीडिया समन्वयक
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