– मध्यप्रदेश में अपनाया आक्रामक रुख
– धड़ल्ले से हो रही नियुक्तियां
भोपाल.
मध्यप्रदेश में 15 साल से सत्ता का वनवास काट रही कांग्रेस पहली बार आक्रामक विपक्ष की भूमिका में नजर आ रही है। वो भाजपा को उसी की शैली में ना केवल जवाब दे रही है बल्कि कई बार तो और ज्यादा आक्रामक रूप दिखा रही है। इधर भाजपा की तरह ही बूथ स्तर तक चुनावी तैयारियांं भी शुरू की गई है और विभिन्न मोर्चा प्रकोष्ठ में नियुक्तियों का दौर तेज हो गया है, जितने भी नेता और कार्यकर्ता उदास-हताश होकर घर बैठ गए थे, उनको काम पर लगाने की रणनीति पर कांग्रेस काम कर रही है।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छग में कांग्रेस करो या मरो की स्थिति में खड़ी है। ऐसे में उसने करो की नीति अपना ली है। तीनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सरकारों को घेरने का कोई मौका उसके नेता नहीं छोड़ रहे है। मध्यप्रदेश में किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर कांग्रेस जहां आक्रामक है वहीं कानून व्यवस्था के बुरे हाल और आए दिन बेटियों के साथ हो रहे दुराचार को भी मुद्दा बनाया जा रहा है। कांग्रेस के बड़े नेताअों के साथ ही अब जिला और शहर स्तर पर टिकट के दावेदार नेता भी भाजपा सरकार की खिलाफत में खुलकर सड़क पर आने लगे है, जो मुद्दा राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर से चलता है, उस पर जिला और ग्रामीण स्तर तक धरना प्रदर्शन और बयानबाजी हो रही है। इधर, नए प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और चुनाव अभियान समिति के संयोजक ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनके मंंत्री, विधायकों पर रोज निशाना साध रहे है। कांग्रेस का मीडिया विभाग और आईटी प्रकोष्ठ भी इस मामले में बेेहद सक्रिय बना हुआ हैै। किसी भी घटना या बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया और पलटवार हो रहा है। 15 साल में पहली बार कांग्रेस मध्यप्रदेश में विपक्ष की सही भूमिका में दिखाई दे रहे है। वहीं संगठन में बूथ स्तर तक नए प्राण फूंकने की कमर भी कसी गई है। पहले चार कार्यकारी अध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस में बनाए गए फिर यही प्रयोग युवा कांग्रेस में किया गया। हर वर्ग और क्षेत्र को प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है। पुराने और अनुभवी नेताअों के साथ ही युवा नेताअों को भी सक्रिय किया गया है। जो नेता नाराज चल रहे थे उन्हें भी जिम्मेदारी सौंपकर वापस मुख्यधारा में जोड़ा गया है।
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