नई दिल्ली.
भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या के खिलाफ ब्रिटिश कोर्ट के फैसले से गदगद देश के सरकारी बैंक उसके खिलाफ अब कार्रवाई को अंतिम दौर में पहुंचाने को तैयार है। ब्रिटिश कोर्ट ने जिस तरह से भारतीय बैंको को माल्या की परिसंपत्तियों की जांच करने और उसे जब्त करने की मंजूरी दी है उसके आधार पर माल्या के खिलाफ दूसरे देशों में भी कार्रवाई की तैयारी है। यह कार्रवाई भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में होगी जो माल्या के खिलाफ लड़ाई में सरकारी बैंकों के कंसोर्टियम का लीडर है।
एसबीआइ ने कहा है कि वह लगातार ब्रिटेन में अपने वकीलों के संपर्क में है ताकि कोर्ट के फैसले को अमल में लाने की प्रक्रिया अब जल्दी से शुरु की जा सके। साथ ही देश की जांच एजेसियों की तरफ से कोर्ट के फैसले के आधार पर माल्या को घेरने की नए सिर से कोशिश की जाएगी।
एसबीआइ के प्रबंध निदेशक अरिजीत बसु ने सरकारी बैंकों की आगे की रणनीति बताते हुए कहा कि ब्रिटिश कोर्ट के फैसले से साबित हुआ है कि हम सही रास्ते पर है। यह सरकार व तमाम सरकारी एजेंसियों के बिना संभव नहीं होता। हमें माल्या की परिसंपत्तियों को जब्त करने के लिए ऐसे ही आदेश की दरकार थी और अब ब्रिटिश कोर्ट के फैसले के बाद हम और तेजी से उस दिशा में बढ़ेंगे।
उन्होंने बताया कि हर देश में अपना कानून है और कई बार सही उद्देश्य होने के बावजूद दूसरे देश की कानूनी अड़चनों की वजह से लक्ष्य को पाना मुश्किल हो जाता है। विजय माल्या के मामले में भारतीय बैंकों की स्थिति भी ऐसी ही थी। एसबीआइ को भरोसा है कि ब्रिटिश कोर्ट के फैसले के बाद माल्या पर भारतीय बैंकों की जो बकाया राशि है उसका एक बड़ा हिस्सा हासिल हो सकेगा।
वित्त मंत्रालय की तरफ से पिछले वर्ष संसद में यह बताया गया था कि माल्या की कंपनी पर सरकारी बैंकों का कुल 9,431.65 करोड़ रुपये का कर्ज बाकी है। इसमें से अकेले आइडीबीआइ का कर्ज 1687.04 करोड़ रुपये का है। जबकि एसबीआइ का 1600 और पंजाब नेशनल बैंक का 1223 करोड़ रुपये का कर्ज है। शुक्रवार को एसबीआइ के एमडी ने बताया कि बैंक अभी तक माल्या की तमाम परिसंपत्तियों की बिक्री से महज 963 करोड़ रुपये की वसूली ही कर पाये है। यह वसूली माल्या की भारतीय परिसंपत्तियों को जब्त व बिक्री करने से हासिल हुई है।
उसकी कई परिसंपत्तियों को नीलाम करने की कोशिश जारी है। बसु ने बताया कि माल्या से कर्ज वसूली की कोशिश बैंकों की तरफ से पहले ही की जा रही है लेकिन फरवरी, 2016 में उनके देश छोड़ जाने के बाद यह प्रक्रिया और तेजी कर दी गई है।
ब्रिटिश कोर्ट ने जिस तरह से फैसला दिया है उससे अब ब्रिटेन में माल्या की परिसंपत्तियों को जब्त कर उनकी नीलामी करना आसान होगा। यही नहीं भारतीय बैंकों की कोशिश होगी कि इस फैसले के आधार पर दक्षिण अफ्रीका व अमेरिका में माल्या की परिसंपत्तियों को जब्त करने की कोशिश की जाए। ब्रिटिश कोर्ट के फैसले के बाद इसकी राह खुलने के आसार है। साभार दैनिक जागरण्ाा
खबर के लिए कमेंट करें/ दोस्तों के साथ शेयर करें।