मोदी को रोक पाएगा ‘एंटी-पोचिंग एग्रीमेंट’ …? जानिए



नई दिल्ली.

2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी को रोकने के लिए विपक्षी दलों में ‘एंटी-पोचिंग एग्रीमेंट’ हो रहा है। इसके तहत पार्टियों में बागी नेताओं को शामिल न करने की ‘अघोषित सहमति’ बनी है। यानी कोई नेता अगर एक पार्टी छोड़ता है तो दूसरी पार्टी उसे अपने यहां से टिकट या प्रभावी पद नहीं देगी। सबसे पहले बसपा और सपा फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में साथ आए। लोकसभा की कैराना सीट पर भी सपा-बसपा और कांग्रेस ने लोकदल के प्रत्याशी का समर्थन किया। यहां जीत के बाद इन दलों के बीच एंटी-पोचिंग के लिए समझौते की नींव पड़ी। अन्य दल भी इसमें शामिल हुए।

समझौते पर राहुल गांधी की सैद्धांतिक सहमति

कांग्रेस का कहना है कि गठबंधन की पार्टियों के बागियों को मंच न देने के समझौते पर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। एग्रीमेंट में कांग्रेस के आ जाने से यह फॉर्मूला अब राष्ट्रीय रूप ले चुका है। उत्तर भारत के 4 बड़े राज्यों के दलों में भी यह सहमति हो चुकी है। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव रामअचल राजभर का कहना है कि जो भी नेता गठबंधन से नाराज होकर आएगा उसे जगह नहीं देंगे। यह अाधिकारिक तौर पर तय हुआ है।

फॉर्मूले पर काम कर रहीं क्षेत्रीय पार्टियां 

इस पर सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि समान विचारधारा वाली पार्टियां एक मंच पर एकजुट हो गई हैं। किसी भी नेता और पदाधिकारी का दल-बदल नहीं करने का फैसला लिया है। बिहार और झारखंड में भी पार्टी क्षेत्रीय दलों के साथ यह फॉर्मूला अपनाने जा रही है। कांग्रेस ने झारखंड मुक्ति मोर्चा और झारखंड विकास मोर्चा से भी आम सहमति बना ली है। राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि साथी दलों को यह ध्यान रखना होगा कि किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता को तोड़ा नहीं जाए। हमारी पार्टी भी इसी फॉर्मूले पर काम कर रही है।

किसी भी तरफ से स्वीकार नहीं होगी एंटी पार्टी एक्टिविटी 

कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी का कहना है कि एंटी पार्टी एक्टिविटी किसी भी तरफ से स्वीकार नहीं होगी। जो भी गठबंधन होगा वह आपसी तालमेल के साथ बनाया जाएगा। यह तो जाहिर-सी बात है कि राजनीतिक दल एक-दूसरे से सहमति बनाएंगे तो एक-दूसरे के विरुद्ध कोई गतिविधियां नहीं चलाएंगे। इसमें किसी प्रकार की औपचारिक सहमति और समझौते की कोई जरूरत नहीं है।

झामुमो में भी विपक्षी दल एकजुट

झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बताया कि झारखंड में सभी क्षेत्रीय दलों के बीच समझौता हो गया है। सभी मिलकर चुनाव में अपना एक प्रत्याशी खड़ा करेंगे। गठबंधन पार्टी से छोड़कर कोई किसी पार्टी में आता-जाता है तो उसे शामिल नहीं करेंगे। यह सहमति सभी के बीच बन गई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने बताया कि लोकसभा चुनाव में हम सभी मिलकर लड़ेंगे। इस पर बातचीत लगभग तय हो गई है। गठबंधन में शामिल दल के नेता और पदाधिकारी पार्टी छोड़कर अगर जाते हैं तो उसे कोई भी अपनी पार्टी में जगह नहीं देगा, यह फॉर्मूला बनाया गया है।

गठबंधन की बाधाओं और चुनौतियों को लेकर पार्टीयां गंभीर

एंटी पोचिंग एग्रीमेंट से यह भी स्पष्ट हो गया है कि ये पार्टियां गठबंधन की बाधाओं और चुनौतियों को गंभीरता से ले रही हैं। एक रणनीति यह भी है कि बागी नेताओं के लिए गठबंधन के विकल्प बंद हों और दामन थामने के लिए सिर्फ भारतीय जनता पार्टी ही एकमात्र विकल्प रह जाए। इससे भाजपा के लिए पोचिंग के अवसर तो पैदा होंगे पर साथ ही उसके अपने घर में कलह के बीज पड़ जाएंगे। इधर, भाजपा के वे सांसद जो पिछले चुनाव के ठीक पहले सपा, बसपा या कांग्रेस से आए थे, वे एक बार फिर अपनी पूर्व पार्टियों से वापसी के लिए संपर्क बना रहे हैं। उन्हें उम्मीद है चूंकि वे भाजपा से सपा या बसपा में लौटेंगे, इसलिए उन पर एंटी पोचिंग एग्रीमेंट लागू नहीं होगा।

इन दलबदलुओं को भाजपा और कांग्रेस में फायदा हुआ

केंद्र सरकार में राजद से आए राम कृपाल सिंह, कांग्रेस से आए हरियाणा के नेता राव इंद्रजीत सिंह और चौधरी वीरेंद्र सिंह को मंत्री पद मिला हुआ है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में रीता बहुगुणा जोशी, स्वामी प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक समेत बाहरी दलों से आए छह नेताओं को मंत्रिपरिषद में जगह मिली। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब की अमरिंदर सरकार में मंत्री पद मिला है। साभार दैनिक भास्‍कर

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