नई दिल्ली.
महिला आरक्षण की मांग उठाने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने मोदी सरकार ने एक नई डील की पेशकश की है. इस डील में मोदी सरकार ने राहुल गांधी से महिला आरक्षण बिल के साथ ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर संसद में समर्थन का आह्वान किया है. बीजेपी के इस प्रस्ताव पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है और सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं.
राहुल गांधी को लिखे गए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के पत्र पर कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने कहा कि 2014 के घोषणापत्र में तीन तलाक और हलाला का नहीं, महिला आरक्षण का जिक्र था. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने महिला आरक्षण की मांग को लेकर सोनिया गांधी की चिठ्टी का जवाब क्यों नहीं दिया था? सुष्मिता ने आरोप लगाया कि महिला आरक्षण देने की उनकी नीयत ही नहीं है और कानून मंत्री ‘डीलर’ बन गए हैं.
दरअसल, ‘मुस्लिमों की पार्टी’ और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर मुस्लिम महिलाओं के लिए आवाज न उठाने का आरोप लगाते हुए बीजेपी लगातार कांग्रेस पार्टी को घेरे हुए है. इस बीच 16 जुलाई को राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 18 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पास करने की मांग की, जिसके तहत संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है. राहुल की इस मांग के बाद बीजेपी ने एक बार फिर गेंद कांग्रेस के पाले में डाल दी.
मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी के पत्र का जवाब दिया. उन्होंने राहुल को लिखे पत्र में एक ‘नई डील’ का ऑफर दे दिया. रविशंकर ने लिखा, ‘मैं चाहता हूं कि बीजेपी और कांग्रेस महिलाओं की समानता और उनकी पर्याप्त भागीदारी के लिए साथ आएं. इस नई डील के तहत हमें महिला आरक्षण बिल के साथ तीन तलाक और निकाह हलाला जैसे मसलों पर भी कानून का समर्थन करना चाहिए.’
अपने पत्र में कानून मंत्री ने ये भी कहा कि तीन तलाक और निकाह हलाला जैसे मसले न सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के अधिकार से जुड़े हैं, बल्कि उनके सम्मान का भी सवाल है. राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते महिलाओं और उनके अधिकार के संबंध में दोहरा रवैया नहीं होना चाहिए.
बता दें कि राहुल गांधी ने 16 जुलाई को पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वह संसद में महिला आरक्षण बिल लाएं, कांग्रेस उनका पूरा समर्थन करेगी. यह बिल साल 2010 में राज्यसभा में पास कराया गया था. मगर लोकसभा में यह विधेयक पारित नहीं हो सका था. विधेयक के तहत संसद और राज्य विधान सभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव है. साभार आज तक
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