यहां आंगनवाड़ियों को दिया प्ले स्कूल का स्वरूप



www.thedmnews.com

– अनूठी पहल
– सफलता की कहानी
– देवास जिले में जनसहयोग से गांवों की आंगनवाड़ियों को दिया प्ले स्कूल का स्वरूप
– बालगीतों, कार्टूनों व एलईडी टीवी के माध्यम से मनोरंजन कर बच्चों को दी जा रही  जॉयफुल लर्निंग
देवास. जिले में जिला प्रशासन द्वारा जनसहयोग से आंगनवाड़ियों को प्ले स्कूल का स्वरूप देकर अनूठी पहल की गई है। अंदर की दीवारों पर कूदते-फुदकते, रंग-बिरंगे कार्टून कैरेक्टर जहां बच्चों को गुदगुदाते हैं वहीं बाहर की दीवारों पर जंगल थीम की पेंटिंग बच्चों को प्राकृतिक वातावरण का अहसास करा रही है। प्ले स्कूल की तर्ज पर तैयार की गई ये आंगनवाड़ियां बच्चों के साथ-साथ वहां आने वाले अभिभावकों को भी एक सुखद अनुभूति कराती हैं। नए स्वरूप में तैयार ये आंगनवाड़ियां इतनी मनमोहक व आकर्षक प्रतीत होती है कि बच्चों की नियमित उपस्थिति में न केवल अप्रत्याशित वृद्धि हुई है बल्कि बच्चें ज्यादा से ज्यादा समय आंगनवाड़ियों में बिताने लगे हैं। जिले की 50 आंगनवाड़ियां प्ले स्कूल की तर्ज पर बनाने का लक्ष्य कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने जिले की 50 आंगनवाड़ियों को प्ले स्कूल की तर्ज पर विकसित करने का लक्ष्य रखा है। इनमें से 7 आंगनवाड़ियां प्ले स्कूल का स्वरूप ले चुकी हैं। इन आंगनवाड़ियों को मॉडल आंगनवाड़ियों के रूप में तैयार किया गया है। इनमें बच्चे, बालगीतों, कार्टूनों तथा एलईडी पर मनोरंजन गीतों के साथ डांस कर जॉयफुल लर्निंग प्राप्त कर रहे हैं। नए मॉडल में तैयार आंगनवाड़ियों से गांव के बच्चों को शहर के नर्सरी एवं प्ले स्कूलों जैसी शिक्षा प्राप्त होना शुरू हुई है, वहीं आंगनवाड़ियों में इस अनूठी पहल से बच्चों की संख्या में भी खासी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। मॉडल आंगनवाडी के रूप में विकसित ये केन्द्र पूरे ग्राम के लिये आकर्षण का केन्द्र बन गए हैं। बच्चों केअभिभावकों ने बताया कि नए स्वरूप में परिवर्तित ये आंगनवाड़ियां माता-पिता को महंगें प्राईवेट नर्सरी/ स्कूलों के खर्चों से बचायेगें, वहीं आंगनवाडी केन्दों की सभी सेवाओं का लाभ भी बच्चों को मिल पाएगा। आगे कहा कि जिला प्रशासन का यह कदम स्वागत योग्य है जो बच्चों में कुपोषण दूर करने में भी मददगार साबित होगा।

बच्चों का लुभा रही ये आंगनवाड़ियां
कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि इसी अनुक्रम में ग्राम अलीपुर, सिंगावदा, अजीजखेडी, राजोदा क्रमांक- 5, भानगढ़, बालोदा, लोहारपीपल्या के साथ आंगनवाड़ी केन्द्र मॉडल आंगनवाडी के रूप में तैयार हो चुके हैं। इन केन्द्रों में अंदर-बाहर और बाउंड्रीवॉल पर विभिन्न कार्टून केरेक्टर व जंगल थीम पर आर्कषक रंगीन पेंटिग की गई है, जो बच्चों को बहुत लुभा रही हैं। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त बच्चों को नाना प्रकार के खिलौने और लुभावने फर्नीचर भी उपलब्ध करवाये गये हैं। लुभावने कुर्सी टेबल पर बैठकर बच्चें अपनी ड्रांईग-पेंटिग आदि का कार्य कर प्रफुल्लित होते हैं। बच्चों के लिये सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र आंगनवाड़ियों में लगी एलईडी टीवी है। टीवी को देखकर बालगीतों की धुन पर बच्चे भी साथ-साथ थिरकते हुए आंनदित होते हैं। वहीं गीत व कविताऐं भी अभिनय के साथ दोहराते हुए शिक्षा भी प्राप्त कर रहे हैं।
बच्चे करते हैं फुल इन्जाय
कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि पहले जहां केन्द्रों पर 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के 10 से 12 बच्चे आते थे। अब 25 से 30 बच्चे उपस्थित होने लगे हैं ना केवल बच्चे बल्कि माताएं भी बहुत प्रसन्न हैं। उन्होंने बताया कि माताएं अपने 8 व 10 माह से लेकर दो से ढाई वर्ष के बच्चों के साथ केन्द्र पर आ जाती हैं और जो बच्चे उनकी गोद से नहीं उतरते थे, वे अब आराम से केन्द्रों पर खेलते हैं। कार्यकताएं माताओं को बच्चों के बेहतर पोषण स्वास्थ्य, शिक्षा, सफाई इत्यादि विषयों पर जानकारी भी देती हैं।


अन्य जिलों के लिए हैं प्रेरणादायी
देवास जिले में की गई यह पहल अन्य जिलों के लिए प्रेरणादायी व अनुकरणीय है प्ले स्कूल की तर्ज पर तैयार की गई ये आंगनवाड़ियां बच्चों को उपस्थिति बढ़ाने के अपने मकसद में पूर्ण रूप से सफल हो रही हैं। एक ओर जहां बच्चें रोचक तरीके से शहर के बच्चों की तरह बेहतर शिक्षा प्राप्त करेंगे, वहीं अभिभावकों को अपने बच्चों को महंगे प्ले स्कूलों में भेजने की जरूरत नहीं हो रही है, जिससे वे आर्थिक बोझ से भी बच पा रहे हैं।

लाइक करें/ दोस्‍तों के साथ शेयर करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *