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इंदौर.नगर निगम द्वारा संचालित कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय का केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से अनुमोदित प्लान के अनुसार विकसित किया जा रहा है. प्राणी संग्रहालय 52 एकड़ भूमि पर विकसित है. वन्य प्राणियों के लिये नैसर्गिक वातावरण देने के लिये बड़े पिंजरें बनाये गये हैं. प्राणी संग्रहालय में विगत एक वर्ष में बाउण्ड्रीवाल की ऊंचाई बढ़ाने, नवीन प्रवेश द्वारा निर्मित करने, नयी पार्किंग व्यवस्था करने, नवलखा चौराहे से आजाद नगर पुलिसा से नई बाउण्ड्रीबाल का निर्माण करने, सम्पूर्ण जू में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी केमरे के साथ-साथ पब्लिक एनाउंस सिस्टम लगाये गये हैं. प्राणी संग्रहालय में गत वर्ष (2017) 13 लाख 26 हजार 474 दर्शक आये,जिससे संग्रहालय को एक करोड़ 42 लाख 9 हजार 230 रूपये की आय हुई.
प्राणी संग्रहालय के प्रभारी डॉ.उत्तम यादव ने बताया कि प्राणी संग्रहालय में 23 प्रजाति की 240 स्तनधारी प्राणी, 26 प्रकार के 244 पक्षी, 8 प्रजाति की 136 सरीसृप, इस प्रकार कुल 57 प्रजाति के 640 पशु-पक्षी हैं. यादव ने बताया कि गर्मी के इस मौसम में हिरण प्रजाति के जानवरों के पिंजरों में प्राणियों की सुविधा के लिये फव्वारे लगाये गये हैं, मांसाहारी वन्य प्राणियों के बाड़े में वाटर पोण्ड एवं नाईट शेल्टर में वाटर कूलर लगाये गये हैं. इसी प्रकार पक्षियों के पिंजरों में घास के टट्टर लगाकर प्रतिदिन गीला किया जाता है. वन्य प्राणियों के पिंजरों में डिस-इन्फेंक्शन दवाओं का छिड़काव भी प्रति सप्ताह किया जाता है.
डॉ. यादव ने बताया कि आने वाले समय में प्राणी संग्रहालय में व्हाइट टाइगर, मकाऊ पक्षी, विदेशी बंदर, एनाकोण्डा साँप और दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी शुतुरमुर्ग लाने का प्रस्ताव है. जू एजुकेशन के तहत दर्शकों को वन्य प्राणियों के जीवनचक्र के विषय में जानकारी दी जाती है. सरकारी और प्रायवेट स्कूलों को अब तक 72 हजार विद्यार्थियों को वन्य प्राणियों के विषय में जानकारी दी जा चुकी है. प्राणी संग्रहालय में वर्ल्ड टायगर डे, वर्ल्ड एलीफेंट डे, वर्ल्ड लाइफ वीक, जू कीपर वर्कशॉप, वाइल्ड लाइफ क्विज, जू शो, इंटर्नशिप स्टूडेंट, वेटनरी स्टूडेंट ट्रेनिंग और वर्ल्ड लायन डे भी मनाया जाता है. इस प्राणी संग्रहालय से 30 स्कूल, 12 क्लब, 25 कार्यकर्ता जुड़े हुये हैं, जो समय-समय पर होने वाले कार्यक्रम और कार्यशाली का आयोजन करते हैं. संग्रहालय के कर्मचारी इस बात का ध्यान रखते हैं कि संग्रहालय में रहने वाले पशु-पक्षियों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो. उन्हें समय-समय पर भोजन,पानी और खुला प्राकृतिक वातावरण मिले तथा बीमार होने पर तुरंत चिकित्सा सहायता उपलब्ध हो सके.
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