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- शहर में कचरे से बनी सी.एन.जी चलेगी बसें
- गॉड मेड द कण्ट्री, मैन मेड द टाउन
इंदौर. भारत सरकार के स्वच्छता मिशन को इंदौर नगर निगम ने आत्मसात कर पिछले सालों से लगभग400 शहरों पछाड़ते हुए देश में नंबर-वन आया हैं. इसके लिए इस शहर के अधिकारी और जनता बधाई के पात्र हैं. इन्दौर नगर निगम ने कैसे लक्ष्य निर्धरित कर शहरवासियों की मदद से 2018 में पूरे भारत में नबर 1 का खिताब पाया। इन्दौर 30 लाख की जनसंख्या का शहर है एवं 175 क्वे. कि.मी. में फैला हुआ है। वर्ष 2015 में इन्दौर वेस्ट मेनेजमेंट बहुत ही खराब स्थिति में था, जिसके लिये इन्दौर नगर निगम ने कचरा प्रबंधन नियम के अनुसार प्लानिंग कर शहर को डस्टबिन फ्र्री, डस्ट फ्री, और लिटर फ्री करने का संकल्प लिया। इसके अतंर्गत शहर में घर-घर कचरा संग्रहण, परिवहन एवं निपटान व्यवस्था स्थापित की गई ओर शहर को खुले में शौचमुक्त (ओ.डी.एफ.) किया गया। लगन भी मजबूत थी, शहरवसियों का साथ रहा और नगर निगम ने कड़ी मेहनत की, फिर भला मंजिल कैसे न मिलती? स्वच्छ सर्वेक्षण-2018 में इन्दौर देश भर के बड़े-बडे़ शहरों को पछाड़ कर पूरे भारत में नंबर 01 आया और तब से पूरे इन्दौर को स्वच्छता की आदत-सी हो गई है.
इन्दौर नगर निगम, जो इतने बड़े शहर को नबर 01 के शिखर पर बनाये हुये हैं। नबर 01 आने के बाद तो शहर की जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं और उसे सम्भालने के लिये इन्दौर को और भी स्वच्छ ओर सुविधाजनक बनाने के लिये नये-नये आधुनिक तरीकों और मशीनों का प्रयोग हो रहा है। स्वच्छता को लेकर अनेक ऐसे काम किये जा रहे हैं, जो इन्दौर शहर को विश्व में वेस्ट मेनेजमेंट के लिये अलग पहचान दे।
डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन, ट्रासपोर्ट प्रोसेसिंग, ऐण्ड डिस्पोजल
इन्दौर शहर के सभी 85 वार्डो में 477 डोर-टू-डोर कचरा वाहनों द्वारा गीला व सूखा कचरा हरे और नीले कम्पार्टमेंट में संग्रहण किया जा रहा है। डोर-टू-डोर वाहनों में गीले व सूखा कचरे के अलावा एक पृथक कम्पार्टमेंट की व्यवस्था भी की गई है, जिसमें घरेलू जैव चिकित्सीय अपिशिष्ट डाला जाता है। जिन संकरी गलियों मे ये कचरा वाहन नहीं पहुंच पाते है, वहां हाथ ठेलो द्वारा अलग-अलग गीला एवं सूखा कचरा इकटठा कर कचरा वाहनों में डाला जाता है। घरों से कचरा इकट्ठा कर रहे कचरा वाहन अपने निर्धारित गारबेज ट्रांसफर स्टेशन पर जाते है, जहां नीले और हरे रंग के 20 क्युबिक मीटर क्षमता के कैप्सूल कन्टेनर में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग कॉम्पेक्ट कर डाला जाता है। एक कैप्सूल में लगभग 35 से 40 छोटी गाड़ियों का कचरा आ जाता है, जिसे जैव चिकित्सीय हुकलोडर के जरिये ट्रक के माध्यम से ट्रेंचिंग ग्राउण्ड पहुंचाया जाता है। वहीं घरैलू जैविक अपशिष्ट को एक अलग वाहन में ट्रांसफर कर सावेर रोड स्थित जैव चिकित्सा अपशिष्ट निपाटन संयंत्र पर भेजा जाता है, जहां इसे इन्सीनरेशन (प्रज्जवलन) की प्रकिया द्वारा जला कर बची हुई राख की हजाडर्स वेस्ट मैनेजमेंट करने वाली कंपनी को दे दिया जाता है। घरों से एक बार व व्यावसयिक क्षेत्रों से दिन में 2 बार कचरा संग्रहण कार्य किया जाता है। व्यवसायिक क्षेत्रों में राहगीरों के उपयोग के लिये 03 हजार से अधिक टिवीन लिटरबिन लगाये गये हैं, जिनका गीला एवं सूखा कचरा प्रतिदिन विशेष वाहन द्वारा इकट्ठा कर कचरा निपटान केन्द्र पर खाली किया जाता है। वहीं जिन व्यावसयिक प्रतिष्ठानों से 10 किलो से अधिक वेस्ट जनरेट होता है, उनके लिये 47 डंपर एवं 13 कॅाम्पैक्टर की मदद से कचरा इकट्ठा कर सीधे ट्रेंचिंग ग्राउण्ड में पहुचाया जाता है। सभी कचरा संग्रहण वाहनों के साथ फीडबैक रजिस्टर भी रखे जाते है, जिनमें आम लोगों के कचरा संग्रहण के प्रति सुझाव एवं फीडबैक लिये जाते हैं।
इस प्रकार शहर के सभी 85 वार्डों से शत-प्रतिशत सेग्रीगेटेड वेस्ट ट्रेंचिंग ग्राउण्ड पहुंचता है, जिसे सुनिश्चित करने के लिये नगर निगम द्वारा सिस्टम बनाया गया, जिसमें ड्राइवर्स को ट्रेनिंग, उप स्वच्छता निरीक्षक द्वारा मानटिरिंग, एन.जी.ओ. की सहभागिता, सभी वाहनों में जी.पी.एस. ट्रैकिंग व वाहनों का रूट निर्धारण शामिल हैं।
वाहनों की जी.पी.एस. मॉनटिरिंग व ओवर ऑल मेंटेनेंस के लिये इन्दौर नगर निगम ने एक अत्याधुनिक आईएसओ सर्टिफायड वर्कशॉप बनाई है, जो कि पूरे देश में अपनी तरह की एक अनूठी वर्कशॉप है। ट्रेंचिंग ग्राउण्ड में पहुंचने के बाद कचरा वाहनों का वेब्रिज द्वारा वजन करवाकर गीले व सूखे कचरे को निर्धारित स्थानों पर ले जाकर खाली कराया जाता है। इसमे गीले कचरे को विन्ड्रो में रखा जाता है, ताकि इसकी नमी कम हो जाये, वही इससे रिसने वाले लीचेट के लिये ड्रेनेज लाइन एवं लिचेट कलेक्शन पिट की व्यवस्था भी की गई है। गीले कचरे में बायो-कल्चर को समय-समय पर मिक्स कर पलटाया जाता है। साथ ही दुर्गंध रोकने तथा कम्पोस्टिंग प्रक्रिया बढ़ाने वाले जीवाणु की वृध्दि के लिये उपयुक्त छिड़काव भी किया जाता है। 28 दिन बाद इस वेस्ट को वहीं स्थित 600 मैट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता वाले मैकेनिकल कम्पोस्टिंग प्लांट पर आगे की प्रकिया के लिये ट्रांसफर कर दिया जाता है, जहां इस कचरे से प्रतिदिन लगभग 40 मैट्रिक टन कम्पोस्ट बनाया जाता है, जिसकी गुणवत्ता की जांच प्लांट में स्थित लैब एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया जाता है। इस खाद को ’’इन्दौर सिटी कम्पोस्ट’’ ब्राण्ड के नाम से खुले में 2 रुपये प्रति किलो ग्राम तथा बैग में 3 रुपये प्रति किलो ग्राम की दर से बेचा जाता है।यह खाद किसानों के द्वारा खरीदी जाती है, साथ ही वन विभाग, सामाजिक वानिकी, आई.डी.ए., निगम के बगीचों एवं प्रायवेट नर्सरियों के उपयोग मे भी लाया जा रहा है।निगम द्वारा प्रतिदिन जैविक खाद बनाने एवं बेचने की जानकारी भारत सरकार के एम.एफ.एम.एस. पोर्टल पर अपलोड की जाती है।
वहीं सूखे कचरे को मटेरियल रिकवरी सेंटर में भेजा जाता है, जहां रैग पिकर्स द्वारा इसे सेग्रीगेट किया जाता है। सूखे कचरे में ई-वेस्ट, धातु, पेपर, कांच, फुटवेयर तथा चमड़े, गत्ते के उत्पादों को पुनः उपयोग लायक बनाने के लिये एन.जी.ओ. के माध्यम से कबाडि़यों के द्वारा अधिकृत रियासकल करने वाली कंम्पनियों को दे दिया जाता है। पॉलीथिन व बचे हुये प्लास्टिक उत्पादों को प्लास्टिक रिकवरी सेंटर पर प्रोसेस कर रॉ-मेटरियल बनाया जाता है। साथ ही प्लास्टिक को विभिन्न प्रकिया से प्रोसेस कर डामर सड़कों के निर्माण में उपयोग किया जाता है तथा पाइप निर्माण करने वाली फैक्ट्री को दिया जाता है। शहर से निकलने वाले हेयर वेस्ट से एमिनो एसिड का निर्माण निगम द्वारा संयंत्र स्थापित कर किया जा रहा है। अब हेयर वेस्ट से एमिनों एसिड बनेगा।
इसके साथ ही नगर निगम ने देवगुराड़िया स्थित ट्रेंचिंग ग्राउण्ड पर लगभग 20 लाख टन पुराने कचरे के निपटान के लिये बॉयोरेमिडिएशन पद्धति से कार्य प्रारंभ किया है, जिसमें पुराने कचरे मे से प्लास्टिक, मिट्टी, इनर्ट को पृथक किया जाता है। विगत वर्ष में 01 लाख टन कचरे का निपटान कर यहां 04 एकड़ हरित क्षेत्र भी विकसित कर लिया गया है, गीले व सूखे कचरे की प्रोसेसिंग तथा बॉयोरेमिडिएशनसें बचे हुये इनर्ट वेस्ट को 6.25 एकड़ में फैले वैज्ञानिक इंजीनियर लैण्डफिल साइट पर भू- भरण के लिये भेजा जाता है।
डी-सेन्ट्रेलाइज प्रोसेसिंग ऑफ वेस्ट
नगर निगम द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि जो भी संस्था (रहवासी संघ, होटल, हॉस्पिटल आदि) 100 किलोग्राम से अधिक कचरा प्रतिदिन उत्पन्न करते हैं, उनके द्वारा वहीं पर गीले कचरे का निपटान, ऑर्गेनिक वेस्ट कन्वर्टर मशीन, बॉयोगैस प्लांट एवं कम्पोस्ट पिट स्थापित कर किया गया है, जिससें जैविक खाद एवं बॉयोगैस का निर्माण एवं उपयोग उनके द्वारा किया जा रहा है। शहर के सभी 500 विकसित गार्डेन सें निकलने वाले गार्डेन वेस्ट का निपटान रैगपिकर्स द्वारा वहीं पर कम्पोस्ट पिट के माध्यम से खाद बना कर किया जाता है। इसके अलवा मंदिरों से निकलने वाले निर्माल्य से जैविक खाद का निर्माण भी किया जाता है। वहीं चोइथराम सब्जी मंडी से निकलने वाले कचरे के निपटान के लिये 20 टन क्षमता का बॉयोमिथेनाइजेशन प्लांट एवं 5 टन क्षमता के कम्पोस्ट पिट का निर्माण किया गया है, जिसके माध्यम से लगभग 20 सी.एन.जी. सिटी बसें चलाई जायेगी। निगम द्वारा नेहरु पार्क एवं जू में 1 टन क्षमता का ऑर्गेनिक वेस्ट कन्वर्टर तथा रीजनल पार्क में 2.5 टन क्षमता के ड्रम कम्पोस्ट मशीन से गार्डन वेस्ट द्वारा ऑनसाइट कंपोस्टिंग कर खाद बनाई जाती है।
कचरा प्रबंधन शुल्क एवं स्पॉट फाइन
निगम द्वारा कचरा प्रबंधन हेतु रहवासी क्षेत्रों से 60 रुपये प्रति माह एवं व्यवसायिक संस्थानों से 90 रुपये प्रतिमाह कचरा प्रबंधन शुल्क लिये जाते हैं तथा 10 किलो एवं अधिक मात्रा में कचरा उत्पन्न करने वाले संस्थानों से 450 रुपये से 30 हजार रुपये प्रतिमाह तक कचरा प्रबंधन शुल्क लिया जाता है। यूज़र चार्जेस एवं प्रॉपर्टी टैक्स से प्राप्त राशि से कचरा प्रबंधन की ऑपरेशन शुल्क की पूर्ति की जाती है। इसी तरह बारात, रैली, आयोजन आदि के लिये कचरा संग्रहण एवं परिवहन शुल्क जमा करना अनिवार्य है।
वहीं शहर में सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाये रखने के लिये निगम द्वारा किसी भी प्रकार की गंदगी करने व कचरा फेंकने, थूकने आदि पर 100 रुपये से 1 लाख तक के स्पॉट फाइन का प्रावधान है, जिसके तहत निगम द्वारा पिछले 1 वर्ष में लगभग सवा करोड़ का जुर्माना लिया गया है।
खुले में शौच से मुक्त शहर
नगर निगम, इंदौर को भारत सरकार के अधिकृत संस्थान “क्वालिटी कौंसिल ऑफ इंडिया” द्वारा सर्वप्रथम जनवरी 2017 में खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था। विगत वर्ष खुले में शौच से मुक्त के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु शहर के समस्त 85 वार्डों का सर्वे कर 12,343 एकल शौचालय का निर्माण किया गया। जिनकी पूरी जानकारी स्वच्छ भारत के पोर्टल पर अपलोड की गई है। निगम द्वारा 128 सामुदायिक शौचालयों तथा व्यवसायिक क्षेत्रों एवं अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर 189 सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। हर एकल शौचालय, सी.टी.पी.टी. में नल कनेक्शन की सुविधा सुनिश्चित करने के लिये नगर निगम द्वारा 122 ट्यूबवेल, 94 किलोमीटर पाइपलाइन, 689 वाटर टैंक लगाने के कार्य पर लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं।
समस्त सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालयों में केन्द्र शासन के मान के अनुसार सम्पूर्ण सुविधायें जैसे दिव्यांगों, बच्चों एवं महिलाओं के उपयोग हेतु अलग-अलग सेक्शन्स बनाये गये हैं। सभी शौचालयों में व्हील चेयर एवं रैम्प के साथ ही हवा, पानी एवं प्रकाश की व्यवस्था की गई हैं। साथ ही इन शौचालयों में सेनेटिरी वेडिंग नैपकिन मशीन की सुविधा भी प्रदान की गई है, जिसके माध्यम से महिलाएँ आवश्यकता अनुसार सेनटिरी नैपकीन उपयोग कर सकें। शौचालय के उपयोग के बाद नगर निगम द्वारा जनता के लिये फीडबेक मशीन भी लगाए गए है, जिसके माध्यम से किसी भी शौचालय की स्वच्छता के स्तर की जानकारी दी जा सकती है, जिसकी मॅानिटिरिंग ऑनलाइन की जाती है। जनसुविधा के लिये इन सभी शौचालयों को निगम द्वारा गूगल टॉयलेट लोकेटर पर जियो टैग भी किया गया है। इस वर्ष इन सब प्रयासों के फलस्वरुप दिसम्बर, 2017 में क्वालिटी कौंसिल ऑफ इंडिया द्वारा री-वेरिफिकेशन कर इंदौर को फिर से खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया है। वहीं निगम द्वारा अनूठी पहल कर शहर के औद्योगिक एवं प्रतिष्ठित घरानों के माध्यम से तथा आउटडोर विज्ञापन एजेंसी से राशि प्राप्त कर समस्त सामुदायिक शौचालयों की रख-रखाव की व्यवस्था भी की गई हैं। निगम द्वारा शहर के शत-प्रतिशत पेट्रोल पम्प पर महिला एवं पुरूष हेतु सार्वजनिक शौचालय सुविधा भी प्रदान की गई है।
निगम द्वारा शहर में स्थित सभी सेप्टिक टैंक की गाद निकालने हेतु निविदा के माध्यम से एजेन्सी की नियुक्ति की गई है, जो निर्धारित दरों पर गाद निकालने का कार्य करती है तथा कबीटखेड़ी सीवेज ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट पर इसका निपटान किया जाता है। कबीटखेड़ी पर 12 एम.एल.डी, 78 एम.एल.डी; एवं 245 एम.एल.डी; क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट प्लांट लगे हुये है, जिनमें शहर से उत्पन्न होने वाले सीवरेज का प्रसंस्करण किया जाता है एवं साफ किये गये पानी को तय मानकों के आधार पर पुनः उपयोगी बनाकर वापस नदी में छोड़ा दिया जाता है।
रोज तीन बार शहर की सफाई
इन्दौर की सफाई व्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण योगदान निभाते हैं। नगर निगम के 7 हजार सफाई कर्मचारी, जो रहवासी क्षेत्र में प्रतिदिन एक बार और व्यवसायिक क्षेत्र में प्रतिदिन 03 बार (सुबह, शाम एवं रात व्यवसायिक क्षेत्र बंद हो जाने के बाद) झाड़ू लगाते हैं। इनकी मॉनटिरिंग हेल्थ ऑफिसर, दरोगा के साथ एन.जी.ओ. की सहभागिता से की जाती है। प्रत्येक सफाई कर्मचारी को सेफ्टी के लिये मास्क, जैकेट, ग्लब्ज, दो जोड़ी कपड़े, रेन कोट और जूते निगम द्वारा दिये गये हैं। सभी कर्मचारियों की आधार कार्ड से लिंक बॉयोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज होती है और बॉयोमैट्रिक उपस्थिति से ही इनका वेतन सीधे बैंक खाते में भेजा जाता है। साथ ही इन्दौर में 12 मैकेनिकल क्लिीनिंग करने वाली आधुनिक सेक्शन मशीन से 500 किलोमीटर प्रतिदिन रात 10.00 बजे से सुबह 06.00 बजे तक रोड स्विीपिंग का कार्य भी किया जाता है। इसके अलावा 12 प्रेशरजेट मशीनों के जरिये शहर में बने फुटपाथ एवं चैराहा को पानी के द्वारा साफ भी किया जाता है। डेली क्लीनिंग व स्वीपिंग के सकरात्मक परिणाम इन्दौर शहर की एयर क्वालिटी मे सुधार के रुप में नजर आया। शहर में पहले आर.एस.पी.एम. 140 मायक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब थी, जो घट कर 76 मायक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब रह गई है। एयर पोल्युशन में सुधार आने से शहर में वेक्टर बोर्न जनित बीमारियों मे भी कमी आयी है।
जनजागृति कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन
कोई भी मिशन जन सहयोग के बिना अधूरा है। स्वच्छ इन्दौर के मिशन में आई.ई.सी.(जन जागृति) ने अहम भूमिका निभायी। शहर में नगर निगम द्वारा आम जन में स्वच्छता के प्रति जागरुकता फैलाने एवं उनके व्यवहार परिवर्तन हेतु कई गतिविधियां आयोजित की गई, जिनमें 4 एन.जी.ओ., 9 स्वच्छता ब्राण्ड एम्बेसेडर एवं अन्य एजेन्सी के माध्यम से प्रतिदिन आई.ई.सी. एवं बी.सी. गतिविधियां जैसे सोर्स सेग्रीग्रेशन, शौचालयों का उपयोग एवं रख-रखाव, ऑनसाइट कम्पोस्टिंग, आस-पास सफाई रखने, लिटरबिन का उपयोग हेतु, पोलिथिन का उपयोग न करने हेतु, सड़कों पर गंदगी न करने, स्वच्छता शपथ इत्यादि शामिल हैं।
शहर की जनता को जागरुक करने के लिये निगम द्वारा 2,30,000 वर्ग मी. वॉलपेटिंग, 400 नुक्कड़नाटक, 1100 जन जागरूकता कार्यक्रम, 1500 होर्डिंग, 180 बस पैनल, 2268 लॉलीपॉप, 22 विडियोज़, 16 रेडियो जिगंल्स, म्यूजिकल कॉन्सेप्ट के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया गया। शहर के पुराने 171 कचरा पेटी स्थलों पर महात्मा गांधी के संदेश के साथ उन्हे पूर्णतः ट्रांसफॉर्म कर स्वच्छता का संदेश दिया गया। शहर की सभी 1662 स्कूलों में स्वच्छता समितियों का गठन किया गया है तथा इन समितियों के माध्यम से स्कूली बच्चों को स्वच्छ भारत मिशन के कार्यक्रमों एवं जन जागरूकता से जोड़ा गया है। शहर के रहवासी संघों, सामाजिक संस्थानों, व्यवसायिक संगठनों, विभिन्न धर्माचार्यों के साथ नगर निगम द्वारा ’’स्वच्छता ही सेवा’’ संवाद जैसे 32 कार्यक्रम करके उन्हें स्वच्छ भारत मिशन से जोड़ने के लिये लगातार कार्य किये गये हैं। किसानों मे जैविक खाद के प्रति जागरूकता लाने के लिये 12 से अधिक संगोष्ठियों का आयोजन किया गया, जिसमें उन्हें सम्मानित किया गया तथा इन्दौर सिटी कम्पोस्ट की ब्रांडिंग कर बेचा गया।
शहर के समस्त होटल, स्कूल, हॉस्पिटल, रहवासी संघ तथा मार्केट संघ के बीच श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ प्रतियोगिता कर स्वच्छता के विभिन्न पैमानों पर क्वॉलिटी कौंसिल ऑफ इंडिया के माध्यम से सर्वे कर शहर के प्रथम 10 टॉप रैकिंग प्राप्त करने वाले संस्थानों को सम्मानित किया गया।
स्वच्छ भारत मिशन में इन्दौर शहर के अन्दर स्वच्छता अभियान को मिशन मोड के रूप मे कार्य करने के लिये प्रोजेक्ट इम्पिलीमेन्टेशन यूनिट का गठन किया गया, जिसनें स्वच्छ सर्वेक्षण-2018 के लिये जमीनी स्तर पर कार्ययोजना तैयार की और स्वच्छ सर्वेक्षण के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इन्दौर नगर निगम द्वारा समय-समय पर सॉलिड वेस्ट मेनेजमेंट में हो रहे नवाचारों को जानने के लिये अधिकारी स्तर से दरोगा स्तर तक के कर्मचारियों को देश के विभिन्न शहरों में वर्कशॉप के लिये भेजा गया। साथ ही सेनेट्री इंस्पेक्टर, जूनियर इंजीनियर से निगम आयुक्त द्वारा स्वच्छ भारत मिशन पर उपलब्ध ऑनलाइन 15 ई-लर्निंग कोर्सेस में भाग लिया गया, जिससें सभी अधिकारी देश मे चल रहे स्वच्छता संबंधित कार्यों को सीख कर अपडेट हो सकें।
311 एप्प पर करें शिकायत
शहर के नागरिकों को निगम संबंधित समस्याओं के समाधान के लिये महापौर हेल्पलाइन 311 एप्प प्रारंभ किया गया है, जिसके माध्यम से नगर को कोई भी निगम से जुड़ी हुई समस्याओं हेतु फोटो खींच कर भेज सकता है, जिसका निराकरण निगम द्वारा 24 घंटे के अंदर किया जाता है। जनता की समस्याओं और सुझाव बिना व्यवधान के सरल और सीधे तरीके से उच्च स्तर तक पहुंचे सके। इसके लिए निगम द्वारा महापौर एप्प की शुरूआत की गई।
मानव जीवन में स्वच्छता का बहुत महत्व हैं। स्वच्छता से समृद्धि आती हैं तथा स्वास्थ्य भी बेहतर रहता हैं। शहरों में सबकुछ सुलभ हैं, मगर इंसान शुद्ध आबोहवा के लिए तरसता है और शुद्ध आबोहवा के लिए साफ-सफाई, कचरा प्रबंधन और अनुशासन जरूरी हैं। इसके अलावा किसी अभियान की सफलता जन सहयोग पर पूरी तरह से निर्भर करती हैं। दूरदृष्टि, पक्का इरादा, कड़ी मेहनत और अनुशासन से निश्चित रूप से कोई भी सफलता कदम चूमती हैं। किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि झुक सकता है आसमाँ, गर तबियत से पत्थर उझाले कोई। ठीक ही कहा गया हैं – गॉड मेड द कन्ट्री, मैन मेड द टाउन।
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