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गुस्सा एक ऐसी चीज है जो हर व्यक्ति को आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस पर मानव का जोर नहीं पहुचंता है. किसी को अपने बॉस पर, तो किसी को अपने दोस्त, पार्टनर पर गुस्सा आता है. ज्यादातर लोग तो सरेआम राह चलते हुए भी लोगों से भिड़ते हुए देखे जा सकते हैं. हालांकि, यह भी सब जानते हैं कि क्रोध इंसान की बुद्धि खा जाता है, लेकिन बावजूद इसके लोग अक्सर चीखते-चिल्लाते देखे जा सकते हैं. लेकिन, वैज्ञानिक इस गुस्से की जड़ तक पहुंचने में कामयाब हो गए हैं. पोलेड स्थिति शोधकर्ताओं ने खुलासा कर दिया है कि सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में लोगों को अधिक गुस्सा क्यों आता है.
रोजमर्रा की जिंदगी से जूझते हुए कई बार लोग अपना आपा खो देते हैं, जिससे उन्हें नुकसान होता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि हमारे मस्तिष्क की संरचना इस तरह से की गयी है ताकि जरूरत पड़ने पर क्रोध की भावना को जाहिर किया जा सके. लेकिन आजकल लोगों का गुस्सा हर छोटी-मोटी बात पर निकलने लगा है. इसका एक कारण यह भी है कि लोगों को भावना जाहिर करने की कोई ठोस वजह नहीं मिलती. इसलिए वे हर छोटी-मोटी बात पर अपना गुस्सा जाहिर करने लगते हैं. वे नहीं समझ पाते कि इससे उन्हें ही नुकसान पहुंच रहा है.
क्या है कॉर्टिसॉल हॉर्मोन्स
शोधकर्ताओं का कहना है सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में हमारे दिमाग के मौजूद ‘कॉर्टिसॉल’ नामक स्ट्रेस हॉर्मोन्स बहुत अधिक चार्ज हो जाते हैं. जिसके चलते इनकी अग्नि गुस्से के रूप में बाहर निकलती है. पूज्नम यूनिवर्सिटी के डॉक्टर डोमिनिका कनिकोवस्का का कहना है कि भले ही ‘कॉर्टिसॉल हॉर्मोन्स गुस्सा बढ़ाता है बावजूद इसके यह मानक शरीर के लिए बहुत जरूरी है. अच्छी बात यह है कि आप इन स्ट्रेस हॉर्मोन्स को रिलेक्सेशन की ओर आसानी से ले जा सकते हैं. और जब ऐसा होता है तो कोर्टिसोल का स्तर कम हो जाता है और शरीर खुद ही बीमारी को दूर करने की क्षमता बढ़ा लेता है. ये सब तकनीक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हैं. इन्हें अपनाकर आप अपने शरीर को खुद ब खुद रोगों और तनाव का इलाज करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.
क्या है गुस्सा करने के नुकसान
किसी जमाने में गुस्सा हमारे जीने के लिए जरूरी होता था. आज यह हर मामूली बात पर बाहर आ जाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह आधुनिक जीवनशैली है. पहले कुछ भी पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी. आज ऐसा नहीं है. बस एक बटन दबाते ही सारे काम हो जाते हैं. ऐसे में जब लोगों के मन-मुताबिक कुछ नहीं होता, तो वह आगबबूला हो जाते हैं. हालांकि लोगों को अपने इस गुस्से का खामियाजा खुद ही उठाना पड़ता है. यह न केवल उन्हें मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी भारी नुकसान पहुंचाता है. आगबबूला होने से शरीर में सेरोटोनिन हारमोन का स्राव तेजी से होने लगता है. यह भूख को बढ़ाता है और लोग बार-बार खाने की ओर लपकते हैं.
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