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भोपाल.
विधानसभा चुनाव के मोड में भाजपा और कांग्रेस दोनों अब आने लगी हैं। बड़े नेताओं को काम पर लगाने और बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं को चार्ज करने का सिलसिला दोनों ही तरफ से शुरू हो गया है। ऐसे में दोनों पार्टी द्वारा हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए दो दिग्गज नेताओं की उपेक्षा चर्चा का विषय बनी हुई है।
कल (शनिवार 2 जून) भाजपा ने चुनाव डॉक्यूमेंट विजन से लेकर मुख्यमंत्री की जनआशीर्वाद यात्रा तक के लिए समिति का गठन किया पर उसमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और खंडवा के सांसद नंदकुमार सिंह चौहान को कही भी जगह नहीं मिली। समितिओं के गठन की खबर जारी होते ही राजनीतिक हलकों में यह चर्चा का विषय बन गया। पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, पूर्व सांसद कृष्ण मुरारी मोघे, पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा सहित अनेक वरिष्ठ नेताओं को किसी न किसी समिति का मुखिया बनाकर काम पर लगाया लेकिन पता नहीं क्यों नंदू भैया को हाशिये पर डाल दिया गया। जबकि कुछ समय पहले ही वो मप्र भारतीय जनता पार्टी के कप्तान पद से हटाए गए है और फिलहाल खंडवा से सांसद होने के साथ ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी है। उनकी उपेक्षा का आलम यह रहा कि समिति प्रमुख बनाना तो दूर उन्हें किसी समिति में सदस्य के बतौर भी शामिल करना उचित नहीं समझा गया।
इसी तरह का हाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अरूण यादव का भी होना बताया जा रहा है। कांग्रेस ने भी अनेक समितियां विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गठित की पर अरूण यादव को उनके कद के अनुसार कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अब तक नहीं सौंपी गई है। इससे निमाड़ क्षेत्र के कांग्रेसियों ने और पूरे प्रदेश में उनके समर्थकों में काफी निराशा देखी जा रही है, हालांकि ये दोनों नेता समय-समय पर यह बात कह रहे है कि उन्हें पार्टी के फैसले से कोई शिकायत नहीं है, वो हर वो दायित्व निभाने को तैयार है, जिसके लायक पार्टी उन्हें समझे।
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